पवार ने अहमदनगर में कहा, “क्या मोदी को पद की शपथ लेने से पहले लोगों का जनादेश मिला है? क्या उन्होंने जनता की सहमति ली? उनके पास बहुमत नहीं है। उन्होंने सरकार बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री और टीडीपी की मदद ली।”
मोदी के बयानों को याद करते हुए, पवार ने कहा, “चुनाव प्रचार के दौरान मोदी जहां भी गए, वे मोदी गारंटी पर जोर दे रहे थे। मोदी गारंटी अब अस्तित्व में नहीं है। वैसे ही कोई मोदी सरकार नहीं है। मोदी को यह कहने पर मजबूर होना पड़ा कि यह मोदी सरकार नहीं बल्कि इंडियन गवर्नमेंट और भारत सरकार है। वो एक अलग रुख अपनाने के लिए मजबूर हुए।”
मोदी पर तीखा हमला करते हुए शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी खास पार्टी का नहीं होता, लेकिन मोदी ये भूल गए। उम्मीद थी कि इस देश का प्रधान मंत्री समाज के सभी वर्गों, सभी जाति, पंथ और धर्म के लोगों के बारे में सोचेगा। लेकिन मोदी ये भूल गये। मुझे नहीं लगता कि वह वास्तव में भूल गए थे, दरअसल, यह उनकी विचारधारा का हिस्सा है। क्या मुसलमान, क्या ईसाई, क्या सिख, क्या पारसी...अल्पसंख्यक, चाहे वे किसी भी संप्रदाय के हों, देश का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनमें विश्वास पैदा करना शासकों की जिम्मेदारी है। लेकिन मोदी अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास जगाने में नाकाम रहे।”
शरद पवार ने मोदी का एक और भाषण याद कराते हुए कहा कि “अपनी एक रैली के दौरान, मोदी ने कहा था कि देश में एक विशेष समुदाय है जिसके परिवारों में अधिक बच्चे पैदा होते हैं। इसका मतलब है कि उनका इशारा इस देश के मुस्लिम समुदाय की ओर था...फिर उन्होंने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आया तो वे आपका मंगलसूत्र छीन लेंगे। उन्होंने एक सभा में यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन के लोग किसान की भैंस छीन लेंगे। वह किस बारे में बात कर रहे थे? इस देश के प्रधानमंत्री को यही बोलना चाहिए? क्या एक प्रधानमंत्री को अपने भाषणों में ऐसी बातों पर चर्चा करनी चाहिए? मोदी साहब ने अपने कार्यालय की मर्यादा नहीं रखी। राजनीतिक दलों के रूप में, हम एक-दूसरे पर हमला करते हैं लेकिन हम कुछ मर्यादा बनाए रखते हैं।“
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