अब यार, ये तो मेरी- आपकी भाषा के पीछे भी पड़ गए हैं। अब इन्हें इनके हिंदू राष्ट्र में उर्दू रहित 'शुद्ध हिंदी' चाहिए यानी संस्कृतनिष्ठ हिंदी चाहिए। जो पिछले दस साल में गंगा और यमुना जैसी पवित्र मानी जानेवाली नदियों को शुद्ध नहीं कर पाए, वे अब भाषा को 'शुद्ध' करने चले हैं! जिनके राज में हवा और पानी तक शुद्ध नहीं, दूध और घी में धड़ल्ले से मिलावट जारी है, दवा, डॉक्टर और पीएमओ के अधिकारी तक जिस सरकार में जाली नसीब हो जाते हैं, दिवाली में मिठाई तक शुद्ध नहीं मिलती, जिनके राज में गिरफ्तार होकर भी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई सारे देश में गदर मचाये हुए है, रोज उसके लोग हत्या की धमकियाँ दे रहे हैं, वहां ये एक भाषा को हिंदी -उर्दू में बांट कर 'शुद्ध' करने चले हैं!
खाने-पीने तक सब सामान मिलावटी हैं, अब ये हिंदी 'शुद्ध' करेंगे!
- व्यंग्य
- |
- |
- 17 Nov, 2024

जहाँ हवा और पानी तक शुद्ध नहीं, दूध और घी में धड़ल्ले से मिलावट जारी है, दवा, डॉक्टर और पीएमओ के अधिकारी तक जिस सरकार में जाली नसीब हो जाते हैं, दिवाली में मिठाई तक शुद्ध नहीं मिलती, वहाँ भाषा तो शुद्ध ज़रूर होनी चाहिए!
अरे इतनी अशुद्धताओं के बीच तुम 'शुद्ध हिंदी' में सांस नहीं ले पाओगे, भाऊ! भाषा को तो अशुद्ध ही रहने दो। हां, तुम चाहो तो गंदी हो चुकी गंगा और यमुना में रोज नहाकर शुद्ध होते रहो। ऐसा करने से पहले लेकिन दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेव जी से एक बार पूछ लेना, बेचारे यमुना में नहा कर दिखाने की बहादुरी दिखाने गए थे, उन्हें लेने के देने पड़ गए थे! वो तो बाकी भाजपाई इतने समर्पित नहीं थे वरना उनकी जान के लाले पड़ जाते!