अब यार, ये तो मेरी- आपकी भाषा के पीछे भी पड़ गए हैं। अब इन्हें इनके हिंदू राष्ट्र में उर्दू रहित 'शुद्ध हिंदी' चाहिए यानी संस्कृतनिष्ठ हिंदी चाहिए। जो पिछले दस साल में गंगा और यमुना जैसी पवित्र मानी जानेवाली नदियों को शुद्ध नहीं कर पाए, वे अब भाषा को 'शुद्ध' करने चले हैं! जिनके राज में हवा और पानी तक शुद्ध नहीं, दूध और घी में धड़ल्ले से मिलावट जारी है, दवा, डॉक्टर और पीएमओ के अधिकारी तक जिस सरकार में जाली नसीब हो जाते हैं, दिवाली में मिठाई तक शुद्ध नहीं मिलती, जिनके राज में गिरफ्तार होकर भी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई सारे देश में गदर मचाये हुए है, रोज उसके लोग हत्या की धमकियाँ दे रहे हैं, वहां ये एक भाषा को हिंदी -उर्दू में बांट कर 'शुद्ध' करने चले हैं!