अडानी जी ने सौर ऊर्जा की बिक्री का सौदा करने के लिए आंध्र आदि राज्यों के अधिकारियों को 2029 करोड़ रुपए की रिश्वत दी जा रही है या देना तय हुआ है, ऐसा अमेरिका कहता है। अब देखिए इसके खिलाफ केस कौन दर्ज करता है -अमेरिका और गिरफ्तारी का वारंट जारी कौन करती है अमेरिकी अदालत! अडानी, भारतीय। जिनको हजारों करोड़ की रिश्वत दी गई, वे भारतीय। देनेवाले भारतीय, लेनेवाले भारतीय! न देनेवाले को शिकायत है, न लेनेवाले को शिकवा है। न ईडी को दिक्कत है, न सेबी को, न सीबीआई को चिंता है! दाल- भात में मूलचंद की तरह सारी दिक्कत अमेरिका को है! ग़ज़ब है। ठीक है कि अमेरिकी निवेशकों की डॉलर की कमाई से यह रिश्वत दी गई है, तो क्या हुआ? डॉलर पर कहां यह छपा है कि इसकी कमाई से रिश्वत नहीं दी जा सकती?
रिश्वत हमारा आंतरिक मामला है!
- व्यंग्य
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- 24 Nov, 2024

अडानी, भारतीय। जिनको हजारों करोड़ की रिश्वत दी गई, वे भारतीय। देनेवाले भारतीय, लेनेवाले भारतीय! न देनेवाले को शिकायत है, न लेनेवाले को। न ईडी को दिक्कत है, न सेबी को, न सीबीआई को चिंता है! सारी दिक्कत अमेरिका को है!
हमारे रुपयों की कमाई से आज कितने ही अडानी और अंबानी बने बैठे हैं। उन्होंने भी न जाने कितने मंत्रियों - अधिकारियों को रिश्वत दी होगी, यह बात भारत का बंदा- बंदा जानता है। न खाऊंगा, न खिलाऊंगा वाला तो सबसे ज्यादा जानता भी है, मानता भी है और खाता- खिलाता भी है! फिर भी हम भले मानुषों ने कभी इसकी शिकायत अपने पड़ोसियों तक से नहीं की! तू जान, तेरा ईमान जाने! उस पैसे से तू जुआ खेल या गाय के लिए भूसा खरीद, तेरी मर्ज़ी मगर अमेरिका को बड़ी फ़िक्र है कि जो हो, बड़ी ईमानदारी से हो, जैसे उनके यहां केवल ईमानदारी ही चलती है, बेईमानी तो चलती ही नहीं! तो फिर ये ट्रंप साहब क्या ईमानदारी के वैश्विक अवतार हैं जिन्हें अभी-अभी अमेरिकियों ने फिर से राष्ट्रपति पद से नवाजा है?