इस आदमी ने इस देश के हिंदुओं के बड़े हिस्से को पागल बना रखा है। लोग रोजी-रोटी की चिंता छोड़, अब हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने में लगे हैं। पता नहीं कौनसे इतिहास के किन गली-कूचों से निकलकर इतिहासकार आ रहे हैं और जहां देखो, वहां मस्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर प्रकट करवा रहे हैं! इस पर उत्पात मचा रहे हैं, तोड़फोड़ करवा रहे हैं, भीड़ को हिंसा करने पर तैयार कर रहे हैं। हत्याएं करवा रहे हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर, जामा मस्जिद के नीचे मंदिर, अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे मंदिर, संभल की जामा मस्जिद के नीचे मंदिर, ईदगाह मस्जिद के नीचे मंदिर। मंडी में मस्जिद के नीचे मंदिर। मंगलूर में मस्जिद के नीचे मंदिर। इस तरह और भी मस्जिदों में और भी मंदिर बताए जा रहे हैं। वह आदमी मौन स्वीकृति लक्षणम् की मुद्रा में चुपचाप बैठा है। होने दो, मरने दो, उसका छुपा हुआ नारा है, उसके मन की सच्ची बात है।
हिंदुस्तान या मंदिरस्तान?
- व्यंग्य
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- 1 Dec, 2024

काशी और मथुरा में मस्जिदों के नीचे मंदिर होने के दावे के बाद अब अजमेर शरीफ दरगाह का मामला सामने आया है। पढ़िए, विष्णु नागर का व्यंग्य।
कितने मंदिर चाहिए आखिर इन्हें? इस देश में कम से कम एक करोड़ मंदिर तो होंगे ही। लगभग हर गांव, हर शहर, हर गली, हर नुक्कड़ पर एक मंदिर है। लगभग हर हाउसिंग सोसायटी में एक मंदिर है। हर हिंदू के घर में निजी- पारिवारिक मंदिर है। पार्कों में पहले दो मूर्तियां रखी जाती हैं, फिर वहां एक दिन मंदिर प्रकट करवा दिया जाता है। किसी से बदला लेना हो तो किसी और को सपने में ईश्वर दिखने लग जाते हैं कि यहां मेरा मंदिर था और वहां एक मंदिर प्रकट हो जाता है। इस तरह घर और बाहर के सभी तरह के मंदिरों को जोड़कर देखें तो दस करोड़ से कम मंदिर तो किसी भी हालत में नहीं होंगे।