यह झूठ नहीं है, सच है कि 'विकास' हुआ है। 2014 न आता और जो आए, वे न आते, तो 'विकास' न होता। किसी को शिकायत हो सकती है तो यही कि इधर 'विकास' ही विकास हुआ है और कुछ नहीं हुआ है। करने दो, शिकायत से क्या होता है? निवेदन करने से क्या होता है? जो होता है, भय और आतंक से होता है और उसका 'विकास' हुआ है। हिंदू - मुस्लिम का तो इतना अधिक 'विकास' हुआ है कि बीसवीं सदी को डर लगने लगा है कि कहीं इक्कीसवीं सदी उससे बाजी न मार ले जाए, उसे नीचा न देखना पड़ जाए!
80 करोड़ को मुफ्त राशन के बावजूद गरीबी का भी ‘विकास’!
- व्यंग्य
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- 8 Dec, 2024

2014 के बाद कैसा-कैसा 'विकास' हुआ है? पहले अयोध्या में राम पथ था? नहीं था। अब है और बनते ही पहली बरसात में उसमें बड़े -बड़े गड्ढे पड़ गए। राम पथ न बनता तो गड्ढे कहां पड़ते, गड्ढों को 'विकास' का अवसर इस सरकार ने भरपूर दिया है। 'विकास' हुआ या नहीं?
पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री के वचनों और 'ज्ञान' और फोटो और उनकी देश- विदेश यात्राओं का इतना ज्यादा 'विकास' हुआ है कि 'विकास' शब्द उसके लिए बहुत छोटा बल्कि बौना लगने लगा है। मंदिरों और बाबाओं और अंधविश्वासों का 'विकास' पहले कुछ बाधित था, अब इतना अधिक 'विकास' हुआ है कि बाबा ही बाबा, मंदिर ही मंदिर, अंधविश्वास ही अंधविश्वास चहुंओर है।