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तुम अडानी कहोगे, मैं सोरोस को खड़ा कर दूंगा!

मैं वह हूँ, जिसे आजकल भारत के साधारण से साधारण जन ईश्वर से पहले याद करते हैं क्योंकि जहां ईश्वर नहीं है, वहां मैं हूं। मैं आकाश में भी मैं हूं, पाताल में भी हूं। हवा और पानी में, मैं प्रदूषण की तरह मौजूद हूं। संसद में सत्तापक्ष के शोरशराबे के रूप में और सड़क पर गुंडागर्दी के रूप में उपस्थित हूं। मंदिरों में मैं, मंदिर कॉरीडोर हूं, आश्रमों में ढोंग- धतूरा हूं। जो संत-साधु का चेला ओढ़कर नफरत उगलते हैं, उनके वचनों में मैं ही विन्यस्त हूं। जो थूक जिहाद, लव जिहाद के नाम पर जहर उगलते हैं, उनके हृदयों में मेरा ही निवास है। मैं हर मस्जिद के नीचे पाया जानेवाला प्राचीन मंदिर हूं।

अंधविश्वास मेरा स्थाई पता है, पाखंड में मैं ही बसता हूं। मैं केवल उतना नहीं हूं, जितना लगता हूं, दोनों सदनों का असली स्वामी भी मैं ही हूं। मैं ही सभापति हूं, मैं ही अध्यक्ष। इस रूप में आसंदी पर जो आपको दिखाई देते हैं, वे मेरे ही अंश हैं, मेरी ही छायाएं - प्रतिच्छायाएं हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का वह जज भी मैं हूं, जिसने कहा कि यह हिंदुस्तान है, यह देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। जो बहुमत का कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद है, वही यहां होगा। मैं ही हूं, जो पिछले दिनों विश्व हिन्दू परिषद की सभा में कहता पाया गया था कि हमारे यहां बच्चा जन्म लेता है, तो उसे ईश्वर की तरफ ले जाते हैं जबकि उनके यहां बच्चों के सामने बेरहमी से बेजुबानों का वध किया जाता है। मैं ही हूं, जिसने कहा था कि हिंदुओं को कायर मत समझना।

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मेरे नाम पर मत जाना। नाम कुछ भी हो, वह मैं हूं, यह पहचान लेना। मैं ही निशिकांत दुबे हूं, मैं ही रिजिजू हूं। मैं ही वह सभापति हूं, जो खुलेआम  पक्षपात करने से चूकता नहीं। वह मैं ही हूं जो विपक्ष की आवाज़ को संसद में कुचलता है। जब भी अडानी का नाम आता है, वह मैं ही हूं, जो सोरोस- सोरोस चिल्लाना शुरू कर देता है। वह मैं ही हूं जो अडानी का नाम संसद के रिकॉर्ड में आने नहीं देता है, सोरोस का आने देता है, हालांकि मैं ही अडानी हूं, मैं ही सोरोस भी। तुम अडानी कहोगे, मैं सोरोस को खड़ा कर दूंगा। वे मुझे अडानी का भाई कहेंगे, मैं सोरोस को भैया उन्हें बताऊंगा। दुनिया मेरी सुनेगी क्योंकि मैं मीडिया को विज्ञापन देता हूं। उसे तमाम तरह की अलाबला से बचाता हूं। तुम चाहे उसे कहो, गोदी मीडिया, मैं उसका दूध चूस कर स्वस्थ -प्रसन्न रहता हूं।

मेरे नाम और मेरे पद पर न जाया करो, सभी पदनामों में मैं हूं। वह मैं ही हूं जो अलग-अलग पद और अलग-अलग नाम से अपनी भक्ति स्वयं करता हूं, अपनी आरती उतारने को हिंदू होना मानता हूं। वह सभापति नहीं, मैं हूं, जो अपनी खुद की तुलना महात्मा गांधी से करता है। 

मैं ही हूं, जो उच्च सदन में आरएसएस के विरुद्ध एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करता हूं। सदन का नेता बोले तो भी उसे जलील करने में आगे रहता हूं। मैं जब विपक्ष में था, तब भी संसद नहीं चलने देता था और अब भी जब सरकार में हूं मेरी नीति में अंतर नहीं आया है। जो कुछ चलेगा या तो मेरी मर्जी से चलेगा या नहीं चलेगा। जहां- जहां विपक्षी सरकारें हैं, उनके रास्ते में बार -बार आनेवाला राज्यपाल मैं ही हूं। उन विधानसभाओं में पारित विधेयकों पर सालों बैठे रहनेवाला मैं ही हूं। मैं ही वे तमाम पुल हूं, जो बनने के कुछ महीनों बाद ही ढह जाते हैं। मैं ही वे सड़क हूं, जो पहली बरसात में बह जाती है। 
मैं जिसे चाहता हूं, वह गिरफ्तार कर लिया जाता है, मैं किसी चोर और बलात्कारी को भी चाहूं तो छुड़ा लाता हूं और जयश्री राम का उद्घोष करनेवाला मैं ही हूं। मैं ही अदालत हूं, मैं ही वकील। मैं ही हूं जो अल्पमत को बहुमत में और बहुमत को अल्पमत में बदलता हूं।
मैं ही लोगों को आपस में लड़ाता हूं और मैं ही हूं जो एक देश, एक चुनाव में अपना फायदा देखता है। मैं ही आटा, दाल और सब्जियों आदि की महंगाई हूं जिसे सहते सहते लोग जीते जी मर जाते हैं। यह मैं हूं, जिसने तीन साल में प्राइवेट स्कूलों की फीस तीन गुना बढ़वाई है। मैं ही हूं, जो बड़ी पूंजी का मुनाफा बढ़वाने में लोग पिस जाएं, इसकी चिंता से मुक्त रहता हूं।
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मैं वह रुपया हूं, जो डॉलर के सामने रोज लुढ़क जाता है और मैं ही हूं, जो कहता है भारत 2047 में विकसित बन जाएगा। मैं ही वह छद्म शंकराचार्य हूं, जिसने कहा कि प्रयागराज के कुंभ मेले में दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का नाम मिटा दिया जाएगा और मैं ही हूं, जिसने कहा कि सकल ब्रह्मांड में मेरे दो ही मित्र हैं, भगवान श्रीकृष्ण और नरेन्द्र मोदी। मैं ही बंटेंगे तो कटेंगे हूं और मैं ही एक हैं तो सेफ हैं, हूं। मैंने प्रतिज्ञा ली है, जब तक मैं हूं किसी गरीब, किसी दलित, किसी अल्पसंख्यक को सेफ नहीं रहने दूंगा। और बताए देता हूं मेरी नज़र इतनी तेज है कि मेरी ईडी  ने उस कारोबारी को भी धर दबोचा, क्योंकि उसके बच्चों ने राहुल गांधी को भारत यात्रा के दौरान अपनी गुल्लक भेंट कर दी थी। उसकी हालत यह कर दी कि बाद में उसे और उसकी पत्नी को आत्महत्या करनी पड़ी। मुझसे सावधान रहना। कल विपक्ष के उम्मीदवारों को वोट देनेवाले भी बच न पाएं तो दोष मुझे मत देना।

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विष्णु नागर
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