मैं वह हूँ, जिसे आजकल भारत के साधारण से साधारण जन ईश्वर से पहले याद करते हैं क्योंकि जहां ईश्वर नहीं है, वहां मैं हूं। मैं आकाश में भी मैं हूं, पाताल में भी हूं। हवा और पानी में, मैं प्रदूषण की तरह मौजूद हूं। संसद में सत्तापक्ष के शोरशराबे के रूप में और सड़क पर गुंडागर्दी के रूप में उपस्थित हूं। मंदिरों में मैं, मंदिर कॉरीडोर हूं, आश्रमों में ढोंग- धतूरा हूं। जो संत-साधु का चेला ओढ़कर नफरत उगलते हैं, उनके वचनों में मैं ही विन्यस्त हूं। जो थूक जिहाद, लव जिहाद के नाम पर जहर उगलते हैं, उनके हृदयों में मेरा ही निवास है। मैं हर मस्जिद के नीचे पाया जानेवाला प्राचीन मंदिर हूं।
तुम अडानी कहोगे, मैं सोरोस को खड़ा कर दूंगा!
- व्यंग्य
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- 15 Dec, 2024

बताए देता हूं मेरी नज़र इतनी तेज है कि मेरी ईडी ने उस कारोबारी को भी धर दबोचा, क्योंकि उसके बच्चों ने राहुल गांधी को भारत यात्रा के दौरान अपनी गुल्लक भेंट कर दी थी…। पढ़िए, विष्णु नागर का व्यंग्य।
अंधविश्वास मेरा स्थाई पता है, पाखंड में मैं ही बसता हूं। मैं केवल उतना नहीं हूं, जितना लगता हूं, दोनों सदनों का असली स्वामी भी मैं ही हूं। मैं ही सभापति हूं, मैं ही अध्यक्ष। इस रूप में आसंदी पर जो आपको दिखाई देते हैं, वे मेरे ही अंश हैं, मेरी ही छायाएं - प्रतिच्छायाएं हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का वह जज भी मैं हूं, जिसने कहा कि यह हिंदुस्तान है, यह देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। जो बहुमत का कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद है, वही यहां होगा। मैं ही हूं, जो पिछले दिनों विश्व हिन्दू परिषद की सभा में कहता पाया गया था कि हमारे यहां बच्चा जन्म लेता है, तो उसे ईश्वर की तरफ ले जाते हैं जबकि उनके यहां बच्चों के सामने बेरहमी से बेजुबानों का वध किया जाता है। मैं ही हूं, जिसने कहा था कि हिंदुओं को कायर मत समझना।