भारतीय संविधान की मर्यादाओं को ताक पर रखकर एक लोकतान्त्रिक देश का प्रधान धार्मिक अनुष्ठान करने में व्यस्त है। देश का युवा बेरोजगार है। उसकी हताशा का लेवल सत्ता माप नहीं पा रही। गरीब जनता 5 किलो राशन पर निर्भर है। मध्यम वर्ग के लिए महंगाई आसमान पर है। ऐसे में क्यों नहीं इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पीएम मोदी वर्चुअल उद्घाटन करें और शंकराचार्य अपना अनुष्ठान करें। करोड़ों रुपये भारत सरकार के बच जाएंगे। यह सुझाव स्तंभकार वंदिता मिश्रा का हैः