‘हम भारत के लोग’ खबरों से यह जान सके हैं कि ‘लोकतान्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी गणराज्य’, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में आगामी 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिनों के ‘कठोर’ यम नियम का पालन करेंगे। इन 11 दिनों के ‘कठिन परिश्रम’ के बाद प्रधानमंत्री यजमान की हैसियत से मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। सनातन धर्म के चार शिखर स्तम्भ सभी शंकराचार्यों ने 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं शामिल होने का निर्णय लिया है। लेकिन भारत की ‘स्वतंत्र व निष्पक्ष प्रेस’ (प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2023 में 161वां स्थान) ने खबरों में इस बात को तवज्जो न देने का फैसला किया है। प्रेस ने यह तय कर लिया है कि वो शंकराचार्यों की आपत्ति को सार्वजनिक नहीं करेंगे। वे यह नहीं बताएंगे कि सनातन धर्म की पताका लेकर चलने वाले इन चारों शंकराचार्यों ने विधि-विधान, पूजा पद्धति, प्राण प्रतिष्ठा की तिथि, मुहूर्त आदि को लेकर घोर आपत्ति व्यक्त की है।
युवा लाचार और बेरोजगार है, क्या ये सरकार जिम्मेदार है?
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

भारतीय संविधान की मर्यादाओं को ताक पर रखकर एक लोकतान्त्रिक देश का प्रधान धार्मिक अनुष्ठान करने में व्यस्त है। देश का युवा बेरोजगार है। उसकी हताशा का लेवल सत्ता माप नहीं पा रही। गरीब जनता 5 किलो राशन पर निर्भर है। मध्यम वर्ग के लिए महंगाई आसमान पर है। ऐसे में क्यों नहीं इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पीएम मोदी वर्चुअल उद्घाटन करें और शंकराचार्य अपना अनुष्ठान करें। करोड़ों रुपये भारत सरकार के बच जाएंगे। यह सुझाव स्तंभकार वंदिता मिश्रा का हैः