जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया स्पेसक्राफ्ट, आदित्यL1 अपने मुकाम पर पहुँच गया है। इसे लैगरेन्जियन पॉइंट(L1) में पहुँचने में 127 दिनों का समय लगा। पृथ्वी से L 1 तक की पूरी यात्रा को विज्ञान की मदद से आसानी से ट्रैक किया जा सकता था। वैज्ञानिकों को हमेशा मालूम होता था कि 15 लाख किमी की यात्रा पर निकला यह स्पेसक्राफ्ट कब, कहाँ और किस स्थिति में है। कमोबेश यही स्थिति चंद्रयान मिशनों और अन्य वैज्ञानिक गतिविधियों में रहती है। विज्ञान और वैज्ञानिक सोच का फायदा ही यही है कि हमेशा यथास्थिति का पता रहता है, अंधकार कम होता है। किसी भी राष्ट्र के नेतृत्व व उसके भविष्य के लिए वैज्ञानिक सोच वाला व्यक्ति बहुत अहम होता है। भारत का संविधान भी आम नागरिकों से वैज्ञानिक सोच की आशा करता है। लेकिन यदि किसी भी देश के राजनैतिक नेतृत्व में वैज्ञानिकता और दायित्वबोध की जगह लफ्फाजी ले ले तो उसका भविष्य संकट में पड़ सकता है।
यह, वह भारत नहीं जिसकी तरफ विश्व देख रहा है!
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

यह सूचना तंत्र का युग है। यहां आप विदेश नीति को लेकर कोई भी लफ्फाजी कर लें, वो छिप नहीं सकती। अगर दुनिया वाकई भारत का लोहा मानेगी तो इसे स्वीकार भी करेगी। चीन के मामले को ही लें। भारत चाहे जितना डींगे मारे, सच्चाई सबके सामने है। अगर चीन का मीडिया भारत की तारीफ कर रहा है तो उसके तह में जाने की जरूरत है न कि खुश होने की। पेश है स्तंभकार वंदिता मिश्रा का नजरियाः