यह सूचना तंत्र का युग है। यहां आप विदेश नीति को लेकर कोई भी लफ्फाजी कर लें, वो छिप नहीं सकती। अगर दुनिया वाकई भारत का लोहा मानेगी तो इसे स्वीकार भी करेगी। चीन के मामले को ही लें। भारत चाहे जितना डींगे मारे, सच्चाई सबके सामने है। अगर चीन का मीडिया भारत की तारीफ कर रहा है तो उसके तह में जाने की जरूरत है न कि खुश होने की। पेश है स्तंभकार वंदिता मिश्रा का नजरियाः