पर्यावरण संरक्षण कैसे होगा- पौधे लगाने से या आईफ़ोन, लैपटॉप, फ़्रिज, कूलर खरीदने से? पौधे खरीदने के लिए मिले पैसे का इस्तेमाल आईफ़ोन, फ्रिज, कूलर ख़रीदने में करने से क्या जंगल बढ़ जाएँगे? क्या वनों का पुनर्विकास हो पाएगा और क्या वन संरक्षण हो जाएगा? कम से कम यही सवाल उत्तराखंड को लेकर सीएजी की एक रिपोर्ट से उठते हैं। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं सिलसिलेवार तरीक़े से।
पौधे ख़रीदने थे, आईफ़ोन, लैपटॉप, फ़्रिज खरीद डाले! ऐसे होगा वन संरक्षण?
- विमर्श
- |
- |
- 23 Feb, 2025

उत्तराखंड सरकार के वनों के पुनर्विकास और वन संरक्षण फंड पर CAG रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। क्या सरकारी धन का सही उपयोग हुआ? जानिए पूरी रिपोर्ट।
तमिलनाडु के टी.एन. गोदावरमन थिरुमुलपद, ‘ग्रीन मैन ऑफ़ इंडिया’ ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। उन्होंने नीलगिरि क्षेत्र में वनों की अवैध कटाई और लकड़ी के अवैध कारोबार को रोकने की मांग की। यह मामला भारत में वन संरक्षण के लिहाज से ऐतिहासिक मामला बन गया। इस फ़ैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने ‘वन प्रशासन’ और वन संरक्षण को बहुत विस्तृत आधार प्रदान किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में दिए गए अपने एक आदेश में केंद्र सरकार से CAMPA अर्थात प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण बनाने को कहा। इस प्राधिकरण से सम्बद्ध करके एक कोष बनाया गया। इस कोष का प्रबंधन CAMPA को करना था। CAMPA का उद्देश्य ग़ैर-वन कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वन भूमि की भरपाई करना था जिससे वनीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके। 2016 में इससे संबंधित कानून, प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम यानी CAF अस्तित्व में आया जिसे 2018 में लागू कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के अपने फ़ैसले में कहा था कि- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उद्देश्य केवल अधिसूचित वन क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के वन क्षेत्रों की रक्षा करना है, चाहे वे सरकारी हों, निजी हों या ग्राम वन हों। कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम को व्यापक रूप से लागू किया जाना चाहिए और इसके माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जानी चाहिए। इस तरह हर लिहाज से न्यायालय ने सभी क़िस्म के वनों को वन संरक्षण अधिनियम से जोड़ दिया था।