‘क़ानून का शासन’ किसी भी देश की रीढ़ है। यह देश के स्थायित्व की ‘गारंटी’ है। भले ही देश में अनगिनत विचारधाराएँ क्यों न हों लेकिन यदि शासन करने वाला राजनैतिक दल ‘क़ानून के शासन’ से विचलन बर्दाश्त नहीं करता, तब यह मान लेना चाहिए कि देश सुरक्षित है। जिस भी देश में धार्मिक-सांस्कृतिक विविधता की भरमार है वहाँ राष्ट्रीय एकता और अखंडता सिर्फ़ और सिर्फ़ ‘क़ानून के शासन’ से ही सुनिश्चित हो सकती है। यह कभी भी हजारों लाखों की संख्या में उपस्थित पुलिस, पैरामिलिट्री और सेना से सुनिश्चित नहीं हो सकती। असल में कानून का शासन संख्याबल, आर्थिक-सामाजिक स्थिति, विचारधारा, जाति, धर्म या लिंग से परे जाकर न्याय का आश्वासन देता है। यही वो आश्वासन है जो हर व्यक्ति और समुदाय में सुरक्षा का एहसास पैदा करता है। और अंत में यही सुरक्षा का एहसास, बिना शर्त राष्ट्र प्रेम को जन्म देता है कानून के शासन की उपस्थिति में देश की अखंडता को कभी नुक़सान नहीं पहुंचाया जा सकता है।