शुक्रवार को भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के सोलापुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। हजारों करोड़ रुपये की ‘अमृत’ परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री एक बार फिर अतिरेक से भर जाते हैं। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आजकल उनका ‘मोदी की गारंटी’ वाला स्लोगन अपने चरम पर है। हर जगह जाकर ‘मोदी की गारंटी’ ऐसे बाँट रहे हैं जैसे इस गारंटी और इसमें लगने वाली लागत में कोई साम्य ही न हो। सामाजिक-राजनैतिक जीवन को तो छोड़िए कोई व्यक्ति जब अपने पारिवारिक जीवन में भी कोई वादे या गारंटी को अपने पत्नी, बच्चों या मां-बाप के सामने बार-बार रखता है तो उसकी पूर्ति के लिए परिवार समय समय पर जवाब तलब करता है। वादा/गारंटी पूरा न करने पर परिवार नाराज हो सकता है, परिवार की नजर में उस व्यक्ति की छवि गिर सकती है और यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में उसके ही परिवार का कोई व्यक्ति उस पर कभी भरोसा ही न करे।