जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहा है, वैसे वैसे सत्तासीन नेताओं की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। कहीं पर पहले से चल रही स्थायी राज्य सरकारों को अपने में मिलाया जा रहा है, तो कहीं पर अपनी सरकारों से जन आंदोलनों को-जो वर्तमान सत्ता को नुकसान पहुँचा सकते हैं-आहत करने की कोशिश की जा रही है। 25 जनवरी, राष्ट्रीय मतदाता दिवस, पर बोलते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि- परिवारवादी पार्टियों की सरकारों के कार्यकाल में भारत के युवाओं का भविष्य ‘अंधकारमय’ बना दिया गया था। जबकि मौजूदा केंद्र सरकार ने उस स्थिति से बाहर निकाल लिया है।
युवाओं को प्रकाश से ‘अंधकार’ की ओर धकेला जा रहा है?
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात या उनका कोई भी भाषण सुने तो वो युवकों के लिए खास प्रेम और हमदर्दी दिखाते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत जब हम देखते हैं तो निराशा दिखती है। युवकों की एक ही मांग रही है बेरोजगारी से छुटकारा। भाजपा हर साल दो करोड़ नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन उनके सामने अब जो स्थिति है, वो विचलित करने वाली है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने पीएम के वादों, इरादों के नजरिए से भारतीय युवकों के हालात पर नजर डाली है।