loader
फोटो साभार: एक्स/नरेंद्र मोदी/वीडियो ग्रैब

शुभ काम में रोना!

पहले कुछ लोग ऐसे हुआ करते थे, जिनके पास दुनिया की सारी सुख -सुविधाएं होती थीं, फिर भी वे रोते रहते थे, ताकि उनकी समृद्धि पर किसी की नज़र न लगे। अब भी ऐसे लोग होते होंगे- भारत छोड़कर ऐसे लोग बेचारे जाएंगे भी कहां- मगर पहली बार ऐसी पार्टी, ऐसी सरकार इस देश में आई है, जिसका कोई शुभ काम भी रोये बगैर आरंभ नहीं होता। अवसर कोई हो, मौसम कोई हो, देश हो या विदेश हो, इन्हें श्रीगणेश रोने से ही करना है और अंत भी रोने से कि इसने ये नहीं किया, उसने वो नहीं किया। रोने के बाद फिर ये अपना राग शुरू करते हैं, हमने ये किया, वो किया। अंत फिर रोने से करते हैं। ये दस साल से सत्ता के मजे जमकर लूट रहे हैं और लगातार रो रहे हैं, ताकि इनकी सुख- सुविधाओं पर किसी की नजर न पड़े!

अभी 31 अक्टूबर को हमारे प्रधानमंत्री जी - जो किसी भी अवसर पर किसी भी बात के लिए रोने के लिए जगत विख्यात हैं- रो रहे थे। अवसर सरदार पटेल की जयंती का था। आयोजन सरकारी था। डी डी न्यूज़ से प्रसारण हो रहा था। वक्त सुबह सवा सात बजे का था और ये सुबह- सुबह कांग्रेस के नाम पर रोने लगे। कोई बूढ़ा ही अपनी सुबह किसी को कोसने से शुरू करता है! ये कहने लगे कि कांग्रेस सबसे भ्रष्ट पार्टी है, राष्ट्रविरोधी पार्टी है। कांग्रेस के बारे में गांधी जी ने कहा था कि इसे खत्म कर दो। कांग्रेस गैरजिम्मेदार है, झूठ की फैक्ट्री है आदि। इनकी एक स्थायी शिकायत यह भी है कि कांग्रेस ने सरदार पटेल को महत्व नहीं दिया। 

ताज़ा ख़बरें

चलिए तर्क के लिए मान लिया कि इनकी सारी बातें सच हैं। हंसना मत मगर ये भी मान लेते हैं कि आज तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें सबसे सच्चे ये ही हैं और सच के अलावा भी ये सच ही बोलते हैं। फिर भी माननीय यह मौका सरदार पटेल को याद करने का था, जो आज से 74 साल पहले,1950 में इस दुनिया से विदा ले चुके थे। उनके बारे में उस दिन बहुत कुछ पढ़कर या अपने लंबे चौड़े स्टाफ से लिखवा कर, टेलीप्रांप्टर से पढ़कर विद्वता झाड़ी जा सकती थी। 

कांग्रेस या सपा या राजद या डीएमके या कम्युनिस्टों को गाली देने के हजारों अवसर आए हैं, आते रहेंगे और आप हर ऐसे मौके का जमकर इस्तेमाल करते भी हों, मगर साल में एक दिन की एक सुबह तो सरदार पटेल के लिए पूरी तरह सुरक्षित रख लो। बातें हों तो उस दिन केवल उनकी। कुछ और नहीं कर सकते तो कम से कम उस दिन के सरकारी आयोजन की गरिमा का खयाल रखो। उस गरिमा का खयाल भी नहीं रख सकते, तो अपने पद की गरिमा का ध्यान रखो। हर जगह वही पें -पें शुरू कर देना ठीक नहीं लगता! महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हो रहे हैं, वहां ये सब जी भर कर करो, सभी विपक्षी दलों को भ्रष्ट और अपने को ईमानदार की तोप बताओ! कोई कठिनाई नहीं!

इस अवसर पर आप सरदार पटेल के बारे में कम ही मगर कुछ ऐसा बोल सकते थे कि लगता कि भाजपा का कोई छुटभैया नेता नहीं, देश का प्रधानमंत्री बोल रहा है। 
आपने विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा सरदार पटेल की बनाई, बहुत अच्छा किया। कहो तो इसके लिए ताली बजा दें? लो बजा दी! गुजरात में इसे बनाया, यह और भी अच्छा किया। फिर से तालियां। पटेल जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस नाम दिया, यह भी बहुत अच्छा किया। पुनः तालियाँ। इसके बाद उस दिन बता देते कुछ लौह पुरुष के बारे में।
यही बता देते कि 562 रियासतों के एकीकरण करने में उन्हें किस -किस तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा था और उनका समाधान उन्होंने कैसे निकाला था! फिर अपने 75 साल के जीवन में उन्होंने कुछ और भी तो किया होगा। उन्हें देश का गृहमंत्री बनाने के पीछे उनकी एक लंबी पृष्ठभूमि रही होगी, वह क्या थी, यह बता देते। इंग्लैंड से पढ़कर आया एक सफल युवा बैरिस्टर वकालत छोड़कर कैसे और क्यों स्वाधीनता आंदोलन में आया, कांग्रेस में आया, क्यों पार्टी ने अध्यक्ष पद पर उन्हें आसीन किया, यह बता देते। 
व्यंग्य से और

आपको कुछ नहीं पता था तो गांधी जी के पौत्र राजमोहन गांधी को बुला लेते! वे भी मूलतः गुजराती ही हैं, वह सरदार पटेल के जीवनीकार हैं। उनका व्याख्यान करा देते। वह देश की जनता का भी और आपका भी कुछ ज्ञानवर्धन कर देते तो न आपका नुकसान होता, न देश का! मगर आपके लिए सरदार पटेल का उपयोग यह है कि गुजरात की सबसे ताकतवर जाति पटेल के थे और उस जाति को स्थायी रूप से खुश रखने का तरीका उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाना ही हो सकता है तो आपने यह कर दिखाया। आपका काम हो गया। जय भारत, जय हिंदू राष्ट्र हो गया।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विष्णु नागर
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

व्यंग्य से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें