पहले कुछ लोग ऐसे हुआ करते थे, जिनके पास दुनिया की सारी सुख -सुविधाएं होती थीं, फिर भी वे रोते रहते थे, ताकि उनकी समृद्धि पर किसी की नज़र न लगे। अब भी ऐसे लोग होते होंगे- भारत छोड़कर ऐसे लोग बेचारे जाएंगे भी कहां- मगर पहली बार ऐसी पार्टी, ऐसी सरकार इस देश में आई है, जिसका कोई शुभ काम भी रोये बगैर आरंभ नहीं होता। अवसर कोई हो, मौसम कोई हो, देश हो या विदेश हो, इन्हें श्रीगणेश रोने से ही करना है और अंत भी रोने से कि इसने ये नहीं किया, उसने वो नहीं किया। रोने के बाद फिर ये अपना राग शुरू करते हैं, हमने ये किया, वो किया। अंत फिर रोने से करते हैं। ये दस साल से सत्ता के मजे जमकर लूट रहे हैं और लगातार रो रहे हैं, ताकि इनकी सुख- सुविधाओं पर किसी की नजर न पड़े!
शुभ काम में रोना!
- व्यंग्य
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- 29 Mar, 2025

आपने विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा सरदार पटेल की बनाई, बहुत अच्छा किया। कहो तो इसके लिए ताली बजा दें? लेकिन ये क्या, शुभ काम में रोना-धोना क्यों शुरू कर दिया!
अभी 31 अक्टूबर को हमारे प्रधानमंत्री जी - जो किसी भी अवसर पर किसी भी बात के लिए रोने के लिए जगत विख्यात हैं- रो रहे थे। अवसर सरदार पटेल की जयंती का था। आयोजन सरकारी था। डी डी न्यूज़ से प्रसारण हो रहा था। वक्त सुबह सवा सात बजे का था और ये सुबह- सुबह कांग्रेस के नाम पर रोने लगे। कोई बूढ़ा ही अपनी सुबह किसी को कोसने से शुरू करता है! ये कहने लगे कि कांग्रेस सबसे भ्रष्ट पार्टी है, राष्ट्रविरोधी पार्टी है। कांग्रेस के बारे में गांधी जी ने कहा था कि इसे खत्म कर दो। कांग्रेस गैरजिम्मेदार है, झूठ की फैक्ट्री है आदि। इनकी एक स्थायी शिकायत यह भी है कि कांग्रेस ने सरदार पटेल को महत्व नहीं दिया।