पहले कुछ लोग ऐसे हुआ करते थे, जिनके पास दुनिया की सारी सुख -सुविधाएं होती थीं, फिर भी वे रोते रहते थे, ताकि उनकी समृद्धि पर किसी की नज़र न लगे। अब भी ऐसे लोग होते होंगे- भारत छोड़कर ऐसे लोग बेचारे जाएंगे भी कहां- मगर पहली बार ऐसी पार्टी, ऐसी सरकार इस देश में आई है, जिसका कोई शुभ काम भी रोये बगैर आरंभ नहीं होता। अवसर कोई हो, मौसम कोई हो, देश हो या विदेश हो, इन्हें श्रीगणेश रोने से ही करना है और अंत भी रोने से कि इसने ये नहीं किया, उसने वो नहीं किया। रोने के बाद फिर ये अपना राग शुरू करते हैं, हमने ये किया, वो किया। अंत फिर रोने से करते हैं। ये दस साल से सत्ता के मजे जमकर लूट रहे हैं और लगातार रो रहे हैं, ताकि इनकी सुख- सुविधाओं पर किसी की नजर न पड़े!