एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कालखंड जिसमें लोकतांत्रिक संसार के बचे थोड़े से मुल्क भी एक-एक करके तानाशाही व्यवस्थाओं में बदलते जा रहे हैं, ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ‘(3 मई) के अवसर पर हमारे आसपास के ही दो मुल्कों के जाँबाज़ पत्रकार-फ़ोटोग्राफ़रों की कहानी से रूबरू होना ज़रूरी है। एक मुल्क भारत की पूर्वी सीमा से लगा म्यांमार ( बर्मा) है और दूसरा पूर्व एशिया में स्थित ‘उगते सूर्य का देश’ जापान है। म्यांमार इस समय सैन्य तानाशाही की गिरफ़्त में है। जापान में भरपूर लोकतंत्र है।
शोक मनाइए ! प्रेस की आज़ादी में हम और नीचे गिर गए हैं !
- विचार
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- 29 Mar, 2025
भारत में प्रेस की आजादी का जो हाल है, वो सामने है। लेकिन विश्व प्रेस आजादी दिवस के मौके पर हमें उन पत्रकारों को नहीं भूलना चाहिए, जो प्रेस की आजादी बरकरार रखने के लिए कुर्बानी देते आए हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग म्यांमार की घटना का जिक्र कर रहे हैं।
