प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1952 में आज़ादी के बाद हुए पहले चुनाव में प्रचार करने विंध्यक्षेत्र पहुँचे थे। स्वतंत्रता आंदोलन के नायक नेहरू को देखने-सुनने के लिए अथाह भीड़ उमड़ी थी। नेहरू के बोलने की बारी आने ही वाली थी उनके कान में किसी नेता ने कुछ कहा जिसे सुनकर नेहरू का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उन्होंने मंच से ऐलान कर दिया कि चुरहट से पार्टी के निशान पर लड़ रहा प्रत्याशी कांग्रेस का नहीं है। दरअसल, नेहरू को पता चल गया था कि कांग्रेस प्रत्याशी और सरकार में मंत्री राव शिवबहादुर सिंह पर 25 हज़ार रुपये रिश्वत का गंभीर आरोप है। नेहरू एक आरोपित को हराने की अपील करने से हिचके नहीं हालाँकि वह उनकी पार्टी का ही था।