कर्नाटक की राजनीति में हाल के दिनों में एक नया तूफ़ान खड़ा हो गया है, जिसे 'हनीट्रैप केस' के नाम से जाना जा रहा है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब राज्य के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में सनसनीखेज दावा किया कि न केवल वह खुद हनीट्रैप का शिकार होने से बचे, बल्कि राज्य के 48 अन्य नेताओं, विधायकों और यहाँ तक कि केंद्रीय नेताओं को भी इस जाल में फँसाने की कोशिश की गई। इस खुलासे ने सत्तारुढ़ कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पूरा मामला कांग्रेस के अंदर चल रहे सत्ता संघर्ष का परिणाम है?
कर्नाटक हनीट्रैप केस क्या कांग्रेस के अंदर ही सत्ता संघर्ष का नतीजा?
- कर्नाटक
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- सत्य ब्यूरो
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- 24 Mar, 2025
कर्नाटक में हनीट्रैप केस ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। क्या यह कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष का संकेत है? जानिए इस मामले की पूरी सच्चाई।

20 मार्च को कर्नाटक विधानसभा में सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने दावा किया कि उनके पास जानकारी है कि 48 नेताओं के हनीट्रैप वीडियो मौजूद हैं। इनमें कांग्रेस के कई बड़े नेता, कुछ जज और अफ़सर शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह साज़िश केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी फैली हुई है। इसके अगले ही दिन, लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि एक वरिष्ठ मंत्री को दो बार हनीट्रैप में फँसाने की कोशिश की गई, हालाँकि ये प्रयास असफल रहे। जारकीहोली ने इसकी निष्पक्ष जाँच की माँग की।
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