कर्नाटक की राजनीति में हाल के दिनों में एक नया तूफ़ान खड़ा हो गया है, जिसे 'हनीट्रैप केस' के नाम से जाना जा रहा है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब राज्य के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में सनसनीखेज दावा किया कि न केवल वह खुद हनीट्रैप का शिकार होने से बचे, बल्कि राज्य के 48 अन्य नेताओं, विधायकों और यहाँ तक कि केंद्रीय नेताओं को भी इस जाल में फँसाने की कोशिश की गई। इस खुलासे ने सत्तारुढ़ कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पूरा मामला कांग्रेस के अंदर चल रहे सत्ता संघर्ष का परिणाम है?