सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बकरीद के लिए कोरोना प्रतिबंधों में तीन दिन की छूट की अनुमति देने के लिए केरल सरकार की ज़बरदस्त खिंचाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाली स्थिति है कि केरल सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में ढील देने की व्यापारियों की मांग को मान लिया है। लॉकडाउन में छूट देने के लिए केरल सरकार ने जो अधिसूचना जारी की थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द तो नहीं किया, लेकिन अदालत ने साफ़ तौर पर कहा कि वह कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम के निर्देशों का पालन करे। कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को रद्द नहीं किया था, बल्कि उसने उत्तर प्रदेश सरकार को ख़ुद से कांवड़ यात्रा रद्द करने को कहा था। इसने उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा को रोकने का आदेश देने के लिए जीवन के मौलिक अधिकार का हवाला दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही सोमवार को केरल सरकार से कहा था कि वह ईद के मद्देनज़र राज्य में कोरोना प्रतिबंधों में ढील के ख़िलाफ़ अपना जवाब दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि बाज़ार में दबाव समूहों को स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। आज छूट के आख़िरी दिन होने का हवाला देते हुए जब याचिकाकर्ता वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने अदालत से कुछ आदेश पारित करने के लिए कहा था, तो न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, 'कोई मतलब नहीं है। हम अधिसूचना को रद्द नहीं कर रहे हैं क्योंकि अब ऐसा करना आग लगने पर कुँआ खोदने जैसे है।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम केरल को भारत के संविधान के अनुच्छेद 144 के साथ अनुच्छेद 21 पर ध्यान देने और कांवड़ यात्रा मामले में दिए गए हमारे आदेशों का पालन करने का निर्देश देते हैं।'
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 17 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन में छूट देने की घोषणा की थी और कहा था कि 21 जुलाई को मनाई जा रही बकरीद (ईद-उल-अजहा) के मद्देनज़र कपड़ा, जूते की दुकानों, आभूषण, फैंसी स्टोर, घरेलू उपकरण बेचने वाली दुकानों, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सभी प्रकार की मरम्मत करने वाली दुकानों और आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को ए, बी और सी श्रेणी के क्षेत्रों में 18-20 जुलाई को सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक खोलने की अनुमति होगी।
पिनराई विजयन सरकार द्वारा बकरीद पर लॉकडाउन में छूट की घोषणा किए जाने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने आपत्ति जताई थी।
इसने कहा था कि अगर केरल सरकार ने बकरीद पर लॉकडाउन में छूट देने का आदेश वापस नहीं लिया तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होगा।
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