सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और पूर्व में मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे जूलियो रिबेरो ने दिल्ली दंगा जाँच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली पुलिस उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे जबकि हिंसा से पहले सांप्रदायिक और उकसाने वाला भाषण देने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं नेताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने लिखा है कि 'सच्चे देशभक्तों' को आपराधिक मामलों में घसीटा जा रहा है।
पंजाब में आतंकवाद को ख़त्म करने वाले पूर्व पुलिस प्रमुख जूलियो रिबेरो ने मार्च महीने में एक लेख लिख कर इस बात पर दुख जताया था कि देश में नफ़रत का जो माहौल बनाया जा रहा है, उससे देश की विविधता के ख़त्म होने का ख़तरा है। हालाँकि तब उन्होंने दिल्ली दंगों का साफ़ तौर पर इस तरह से ज़िक्र नहीं किया था। हालाँकि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे की जाँच को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। कई बार इसकी जाँच पर यह कहकर सवाल उठाए गए कि जाँच एकतरफ़ा है। यह भी आरोप लगाया जाता रहा है कि जिन्होंने हिंसा से पहले भाषण देकर उसको उकसाया था उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पूर्व में गुजरात और पंजाब के डीजीपी रहे जूलियो रिबेरो पहले ऐसे कोई आईपीएस से जुड़े रहे अधिकारी हैं जिन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर दिल्ली दंगे की जाँच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सिर्फ़ सवाल ही नहीं उठाए हैं, बल्कि तीखा हमला भी किया है। उन्होंने चिट्ठी में एक तरह से एकतरफ़ा कार्रवाई का भी आरोप लगाया है।
इसी साल फ़रवरी में हुए दिल्ली दंगे में कम से कम 53 लोग मारे गए थे और बड़े स्तर पर जान-माल का नुक़सान पहुँचा था। इस मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा सौ से ज़्यादा आरोप पत्र दायर किए जा चुके हैं और क़रीब 1400 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, जूलियो रिबेरो ने चिट्ठी में लिखा है, 'मैं आपको भारी मन से लिख रहा हूँ। एक सच्चे देशभक्त और भारतीय पुलिस सेवा के एक पूर्व गर्वित सदस्य के रूप में, मैं आपसे अपील करता हूँ कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज 753 एफ़आईआर की निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करें। ये प्रदर्शन करने वाले लोग अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत और पूर्वाग्रह से पैदा हुए अन्याय को सही तरीके से समझते हैं।'
उन्होंने लिखा, 'दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है, लेकिन वह जानबूझकर नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वालों के ख़िलाफ़ संज्ञेय अपराध दर्ज करने में विफल रही, जिससे पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़क गए। इससे मेरे जैसे समझदार और ग़ैर-राजनीतिक लोगों को पीड़ा होती है कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा को कोर्ट के सामने पेश क्यों नहीं किया गया है जबकि धर्म के आधार पर भेदभाव के ख़िलाफ़ शांतिपूर्वक विरोध करते हुए गहरे रूप से आहत हुई मुसलिम महिलाओं को महीनों जेल में रखा गया।'
रिबेरो ने लिखा है कि हर्षमंदर और प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद जैसे सच्चे देशभक्तों को आपराधिक मामलों में घसीटना एक और चिंता की बात है।
उन्होंने पत्र में इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि बिना किसी जाति, रंग और राजनीतिक जुड़ाव के संविधान और क़ानून का सम्मान करना देश के पुलिस बल और आईपीएस से आए इसके नेतृत्व करने वालों की ज़िम्मेदारी है। रिबेरो ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से आग्रह किया है कि उनके अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस नये सिरे से केस को देखे और यह तय करे कि ड्यूटी में शामिल होने से पहले जो उन्हें शपथ दिलाई गई क्या उसके प्रति वे खरा उतर रहे हैं।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ईश सिंघल ने कहा है कि कथित तौर पर जूलियो रिबेरो की ईमेल से भेजी गई चिट्ठी मिल गई है जिसमें उन्होंने चिंताएँ जताई हैं।
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