क्या दिल्ली पुलिस मोदी सरकार का खुलकर विरोध करने वालों को दिल्ली दंगों की आड़ में निशाना बना रही है? क्या दिल्ली दंगों के बहाने मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना करने वाले बुद्धिजीवियों को कठघरे में खड़ा कर रही है और उनकी छवि पर कीचड़ उछालने का काम किया जा रहा है?