चार्जशीट में क्या है?
मूल चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें पिंजड़ा तोड़ आन्दोलन की देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इसलामिया की गुलफ़िशां फ़ातिमा के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं। उन पर आरोप है कि जफ़राबाद में समान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद वहां दंगा भड़का था और इसमें इन लोगों की भूमिका थी।पूरक चार्जशीट में यह कहा गया है कि नरवाल और कलिता के बयानों से यह साफ़ होता है कि अपूर्वानंद, राहुल राय और जयति घोष ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन के निर्देश दिए थे।
एक जैसे बयान कैसे?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिलचस्प बात यह है कि नरवाल और कलिता के बयान बिल्कुल एक जैसे हैं। इन बयानों में कहा गया है कि जयति घोष, अपूर्वानंद और राय ने 'कथित तौर पर उन्हें समझाया कि सीएए-एनआरसी का विरोध करने के लिए वे किसी हद तक जा सकते हैं।' इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि उमर खालिद ने उन्हें विरोध प्रदर्शन के 'टिप्स' दिए। लेकिन सबसे मजेदार बात तो यह है कि अंग्रेजी शब्द 'मैसेज' को ‘मसाज' लिख दिया गया है और यह शब्द दोनों ही बयानों में एक सा ही है।इस चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि नरवाल और कलिता ने अपने बयानों पर दस्तख़त करने से इनकार कर दिया है। सवाल ये उठता है जब इन दोनों ने इन बयानों को अपना मानने से इंकार कर दिया तो पुलिस किस आधार पर उसे सही कह सकती है और क्यों उसे पूरक चार्जशीट में रखा गया।
सरकार को बदनाम करने की साजिश?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 'पिंज़ड़ा तोड़' आन्दोलन के इन दो सदस्यों के बयानों में कहा गया है, “सीएए पारित होने के बाद ज़यति घोष, अपूर्वानंद, राहुल राय ने हमें समझाया कि इसका विरोध करना ज़रूरी है और इस मामले में हम किसी हद तक जा सकते हैं, जिससे सरकार को बदनाम किया जा सके।”चार्जशीट के अनुसार, उमर खालिद ने प्रदर्शन के टिप्स भी दिए। खालिद के संगठन युनाइटेड अगेन्स्ट हेट ग्रुप जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी और पिंजड़ा तोड़ ने एक साथ मिल कर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
चार्जशीट पर संदेह क्यों?
लेकिन यह पूरा चार्जशीट ही संदेहों से भरा हुआ है, जिस पर यकीन करना मुश्किल है। नरवाल और कलिता के बयान हूबहू होने से यह संकेत मिलता है कि किसी ने इसे लिख कर तैयार किया और उस पर इन महिलाओं से दस्तख़त करने को कहा, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया।पुलिस का क्या कहना है?
दिल्ली पुलिन से इस पूरे मामले पर सफ़ाई दी है। पुलिस के प्रवक्ता अनिल मित्तल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, 'यह बता देना ज़रूरी है कि संदिग्धों के इकबालिया बयान बहुत ही सही तरह से रिकॉर्ड किए गए हैं और वही रिकॉर्ड हुआ है जो उन्होंने कहा है।'क्या कहना है अपूर्वानंद का?
प्रोफ़सर अपूर्वानंद ने इस पर अपना जवाब 'सत्य हिन्दी' को भेजा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि 'दिल्ली पुलिस सरकार की कही गई बातों को ही दुहरा रही है।'
उन्होंने कहा है कि 'हालांकि एफ़आईआर 50/2020 गोली लगने से अमान नामक व्यक्ति के घायल होने और उसके बाद उसकी मौत होने के मामले में दर्ज कराया गया है, पर जाँच को इस पर केंद्रित कर दिया गया है कि विरोध प्रदर्शन ग़ैरक़ानूनी था और उस वजह से ही अमान की मौत हुई थी।'
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'चार्जशीट से साफ़ है कि राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है, प्रदर्शनकारियों की छवि खराब की जा रही है और इस कोशिश में ही हमसब के नाम लिए जा रहे हैं।'
अपूर्वानंद, प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
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