पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद बंगाल बीजेपी में जो खींचतान शुरू हुई, वह अभी भी जारी है। बीजेपी के एक और नेता जय प्रकाश मजूमदार ने अब तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पिछले आठ महीने में बंगाल बीजेपी के कई नेता ममता बनर्जी की पार्टी का हाथ थाम चुके हैं।
पिछले साल अक्टूबर में बंगाल बीजेपी का एक और बड़ा चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उनसे पहले चार और बड़े नेता बीजेपी छोड़ टीएमसी में शामिल हो चुके थे। इन नेताओं में विश्वजीत दास, तन्मय घोष और मुकुल राय भी शामिल थे।
राज्य में बीजेपी गुटबाज़ी, चरमराते संगठनात्मक ढांचे और शीर्ष स्तर से जमीनी स्तर पर नेताओं के पलायन की समस्या से जूझ रही है। बीजेपी पिछले 10 महीनों से पश्चिम बंगाल में संघर्ष कर रही है। मई 2021 में विधानसभा चुनावों में 77 सीटों के साथ मज़बूत विपक्षी दल के रूप में उभरने के बाद पार्टी हाल के निकाय चुनावों में एक भी नगर पालिका निकाय जीतने में विफल रही।
इसी बीच अब बीजेपी को एक और झटका लगा है जब पार्टी के निलंबित नेता जय प्रकाश मजूमदार मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। मजूमदार को तृणमूल ने प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। बीजेपी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष मजूमदार को एक अन्य नेता रितेश तिवारी के साथ जनवरी में पार्टी से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।
#InternationalWomensDay
— Jay Prakash Majumdar (@jay_majumdar) March 8, 2022
One of, if not the most prominent woman leader of the world - @MamataOfficial.
I'm indebted she has agreed to be my leader - a new beginning of my political journey but one which feels like homecoming.@AITCofficial pic.twitter.com/nAyMGfOASx
जय प्रकाश को बीजेपी ने मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं रुके। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के उत्तराखंड सह प्रभारी लॉकेट चटर्जी ने कहा, 'मैंने मजूमदार से मुलाक़ात की और उनसे संकट के इस समय में पार्टी नहीं छोड़ने का अनुरोध किया। उन्होंने हमारी बात नहीं मानी और वह तृणमूल में ऐसे समय में शामिल हुए जब बीजेपी को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।'
हालाँकि, मजूमदार ने दावा किया कि उन्हें बीजेपी को सच बताने के लिए निलंबित कर दिया गया था। मजूमदार ने कहा, 'नवनियुक्त बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को राजनीति में केवल दो साल का अनुभव है। राज्य और ज़िला समितियों का गठन राज्य बीजेपी नेतृत्व के साथ नेताओं की निकटता के आधार पर किया गया था।'
बता दें कि अभी एक हफ़्ते पहले ही आए स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से भी बीजेपी को झटका लगा है। पश्चिम बंगाल की सियासत में एक बार फिर टीएमसी की आंधी चली। राज्य की 108 में से 102 नगर पालिकाओं में टीएमसी ने जीत हासिल की। 2021 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली टीएमसी ने दिखाया कि राज्य में उसका कोई मुक़ाबला नहीं है। चुनाव नतीजों से जाहिर है कि नगर निकाय के चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और वामदलों का सूपड़ा साफ हो गया।
स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों के बाद चर्चा के लिए बुलाई गई बीजेपी की बैठक में शुभेंदु अधिकारी जैसे नेता शामिल नहीं हुए। इसको लेकर भी कयास लगाए गए कि क्या बंगाल बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है?
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