नागरिकता संसोधन अधिनियम या सीएए के विरोध में पश्चिम बंगाल की टीएमसी और उसकी नेता ममता बनर्जी मुखर होकर सामने आई हैं। सीएए के विरोध में ममता बनर्जी बुधवार को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक रोड शो निकालेंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी सरकार के मंत्री अरुप विश्वास ने बताया है कि सीएम ममता बनर्जी सीएए के विरोध में सिलीगुड़ी में रोड शो मैनाक से आरंभ होगा और यह वीनस पर खत्म होगा। इस रोड शो में ममता बनर्जी हिस्सा लेंगी। माना जा रहा है कि इस मौके पर जनसभा में वह सीएए के विरोध में कड़ा बयान दे सकती हैं।
सीएए के विरोध में असम में भी विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। असम स्टूडेंट यूनियन ने एक दिन पहले राज्य में 12 घंटे की भूख हड़ताल भी की थी। असम में 30 जनजातियों के संगठन और 16 दलों के विपक्षी मंच की ओर से सीएए का विरोध किया जा रहा है। असम में विरोध कर रहे लोगों को रोकने के लिए राजधानी गुवहाटी में जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। कई जगहों पर अस्थाई जेले बनाई गई हैं।
वहीं केरल में भी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है। केरल में सीपीआई(एम ) सीएए के खिलाफ है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इसके नियम कहीं न कहीं एनआरसी से जुड़े हैं। राज्य के दोनों राजनैतिक गुट यानी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने मंगलवार को सीएए के खिलाफ मंगलवार को मार्च निकाला था।
पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए के कार्यान्वयन पर केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि अधिसूचित किए गए नियमों में कोई स्पष्टता नहीं है।
उत्तर 24 परगना जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने लोगों से कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले कई बार सोचने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया, यह नागरिकों के मौजूदा अधिकारों को छीनने का खेल है और यह सीधे तौर पर देश में एनआरसी के कार्यान्वयन से जुड़ा है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सीएए असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। ममता कह चुकी हैं कि मैंने सीएए के कारण ही एनआरसी का विरोध किया।
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स्टालिन ने सीएए को विभाजनकारी बताया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को 'विभाजनकारी और बेकार' बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।स्टालिन ने कहा है कि सीएए के नियम संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ हैं।लोकसभा चुनाव नजदीक देख कर राजनैतिक लाभ के लिए केंद्र की मोदी सरकार इसके नियमों को अधिसूचित कर रही है। उन्होंने कहा है कि सीएए से कोई लाभ नहीं होने वाला है। यह केवल भारतीय लोगों के बीच विभाजन पैदा करेगा। राज्य सरकार का मानना है कि यह कानून पूरी तरह से अनुचित है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
इसलिए तमिलनाडु सरकार तमिलनाडु में सीएए को लागू नहीं होने देगी। सीएए देश के बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता, अल्पसंख्यक समुदायों और श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के खिलाफ है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि केंद्र की भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है। इसे मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव के उपकरण में बदल दिया है। मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों को धोखा देकर उन्होंने विभाजन के बीज बोए हैं।
उन्होंने लिखा है कि डीएमके जैसी लोकतांत्रिक ताकतों के कड़े विरोध के बावजूद, भाजपा की पिट्ठू पार्टी एडीएमके के समर्थन से सीएए पारित किया गया था। लोगों की प्रतिक्रिया के डर से भाजपा ने इस कृत्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
2021 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद, हमने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हमारे राष्ट्र की एकता की रक्षा करने, सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के आदर्श की रक्षा करने के लिए सीएए को रद्द करने का आग्रह किया था।
स्टालिन ने आगे लिखा है कि अब, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए, नागरिकता संशोधन अधिनियम को निंदनीय तरीके से पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं। भारत के लोग इस विभाजनकारी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए भाजपा और उनके रीढ़हीन समर्थकों, एडीएमके, जिन्होंने बेशर्मी से इसका समर्थन किया, को कभी माफ नहीं करेंगे। जनता उन्हें करारा सबक सिखाएगी
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