पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी बार चुनावी मंच से चंडीपाठ किया है। बीजेपी की ओर से लगातार चुनावी रैलियों में ‘जय श्री राम’ के धार्मिक उद्घोष का राजनीतिक नारे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। हिन्दुत्व की बात भी खुलेआम की जाती रही है। मगर, आम दिनों में धर्म के आधार पर राजनीति और चुनाव आचार संहिता के लागू रहते राजनीति में धार्मिक आचरण और धार्मिक प्रतीक चिन्हों, शब्दों, मंत्रों आदि का प्रयोग बिल्कुल अलग-अलग बातें हैं और अलग-अलग क़िस्म की परिस्थितियों को बयाँ करते हैं। यह प्रचलन स्पष्ट रूप से धर्म का राजनीति में इस्तेमाल है, धर्म के आधार पर वोट मांगा जाना है जिसे रोकने के लिए चुनाव आयोग को तुरंत क़दम उठाने चाहिए।
बंगाल चुनाव में ‘जय श्री राम’, चंडीपाठ पर चुप्पी भी सांप्रदायिकता
- पश्चिम बंगाल
- |
- |
- 17 Mar, 2021

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी बार चुनावी मंच से चंडीपाठ किया है। बीजेपी की ओर से लगातार चुनावी रैलियों में ‘जय श्री राम’ के धार्मिक उद्घोष का राजनीतिक नारे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में धर्म, जाति, नस्ल, संप्रदाय के आधार पर वोट मांगने को ‘भ्रष्ट आचरण’ क़रार दिया था। मगर, यह भ्रष्ट आचरण शिष्ट बन कर पुष्पित-पल्लवित हो रहा है। लोकतंत्र को विषाक्त बनाते इस आचरण को रोकने की ज़िम्मेदारी जिस चुनाव आयोग पर है वह खामोश है।