loader

ममता के भतीजे अभिषेक को चांटा मारने वाले की मौत, परिवार ने कहा- हत्या हुई

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम एक पुराने मामले में सामने आया है। यह मामला 2015 का है, जिसमें देवाशीष आचार्य नाम के एक शख़्स ने अभिषेक बनर्जी को थप्पड़ मार दिया था। लेकिन देवाशीष की गुरूवार को संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। देवाशीष बीजेपी का कार्यकर्ता था। थप्पड़ मारे जाने की इस घटना को लेकर तब काफ़ी शोर हुआ था। 

बंगाल चुनाव में मिली जीत के बाद अभिषेक टीएमसी के विस्तार में जुटे हुए हैं और हाल ही में उनका प्रमोशन कर उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। अभिषेक डायमंड हार्बर सीट से लोकसभा के सांसद भी हैं। 

ताज़ा ख़बरें

बीजेपी ने उठाए सवाल 

इंडिया टुडे के मुताबिक़, देवाशीष को कुछ अज्ञात लोग गुरूवार तड़के 4.10 मिनट पर गंभीर हालत में मिदनापुर के तामुलक जिला अस्पताल में छोड़कर चले गए। दिन में देवाशीष की मौत हो गयी। परिजनों का कहना है कि देवाशीष की हत्या की गई है। इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और राज्य बीजेपी के नेताओं ने देवाशीष की मौत को लेकर सवाल उठाए हैं। 

शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि देवाशीष 16 जून की शाम को अपने दो दोस्तों के साथ घर से बाहर गया था। वे लोग एक मोटरसाइकिल पर सवार होकर सोनापेटया टोल प्लाज़ा के पास एक चाय के स्टॉल पर पहुंचे। 

तभी देवाशीष को एक फ़ोन आया और वह अपने दोस्तों को चाय के स्टॉल पर छोड़कर चला गया। पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है कि इसके बाद देवाशीष के साथ क्या हुआ। 

पश्चिम बंगाल से और ख़बरें

टीएमसी समर्थकों ने पीटा था

2015 में जब देवाशीष ने अभिषेक को एक कार्यक्रम में मंच पर थप्पड़ मारा था तब टीएमसी के समर्थकों ने उसे बुरी तरह पीटा था। पुलिस ने देवाशीष को गिरफ़्तार कर लिया था। पुलिस ने देवाशीष और उसके हमलावरों के ख़िलाफ़ गंभीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया था। लेकिन परिजनों के यह कहने पर कि देवाशीष की मानसिक हालत ठीक नहीं है, अभिषेक बनर्जी ने पुलिस से उसे रिहा करने की अपील की थी। 

पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी की सियासी अदावत ज़ाहिर है। ऐसे में जब मामला ममता बनर्जी के भतीजे से जुड़ा है और जिसकी मौत हुई है, वह बीजेपी का कार्यकर्ता है तो बीजेपी इस मामले को बड़ा मुद्दा बना सकती है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें