नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से जस्टिस कौशिक चंद ने ख़ुद को अलग कर लिया है।
उन्होंने इसके साथ ही याचिका दायर करने वाली ममता बनर्जी पर पाँच लाख रुपए का ज़ुर्माना लगा दिया है। चंद का कहना है कि याचिकाकर्ता ने उन्हें बदनाम करने की नीयत से आरोप लगाए थे।
क्या कहा जज ने?
बुधवार को चंद ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए उन पर आरोप लगाए गए, उससे विवाद हुआ, इसलिए वे इस मामले से हट रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे साथ एक राजनीतिक दल के गहरे संबंध हैं, लिहाज़ा मेरा इस मामले से हट जाना ही बेहतर है। इस आरोप पर फ़ैसला आम लोगों पर नहीं छोड़ा जा सकता है, इस पर निर्णय मुख्य न्यायाधीश करेंगे।'
उन्होंने इसके आगे कहा कि 'इस देश में यह नामुमकिन है कि किसी आदमी का किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध न हो। इसके अलावा जज की नियुक्ति के मामले को सार्वजनिक करना उचित नहीं है। मुख्यमंत्री से उम्मीद की जाती है कि वे गोपनीयता बनाए रखें।'
सुप्रीम कोर्ट जाएगी टीएमसी?
ममता बनर्जी पर ज़ुर्माना लगाए जाने से तृणमूल कांग्रेस बौखलाई हुई है। नंदीग्राम चुनाव में ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट रहे शेख सूफ़ियान ने कहा, 'मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर ज़ुर्माना लगाना शर्मनाक है। हम इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।'
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क्या है मामला?
इसके पहले ममता बनर्जी ने चिट्ठी लिख कर कलकत्ता हाई कोर्ट से आग्रह किया था कि शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग करने वाली उनकी याचिका किसी और जज की बेंच को सौंपी जाए।
ममता बनर्जी के वकील ने इस चिट्ठी में कहा है कि उनके मुवक्किल को आशंका है कि जज प्रतिवादी के प्रति झुकाव रख सकते हैं।
चिट्ठी में कहा गया था कि अप्रैल महीने में ही मुख्यमंत्री ने जस्टिस कौशिक चंद को कलकत्ता हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त करने का विरोध किया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट को लिखी चिट्ठी में कहा गया था, 'न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए।'
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नंदीग्राम निर्वाचन को दी थी चुनौती
इसके भी पहले ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम से चुने जाने को चुनौती दी थी।
ममता बनर्जी ने याचिका में कहा था कि अधिकारी के निर्वाचन को तीन कारणों से निरस्त कर दिया जाना चाहिए। ये तीन कारण हैं- घूसखोरी समेत भ्रष्टाचार में लिप्त, नफ़रत और शत्रुता को बढ़ावा देना, धर्म के आधार पर वोट माँगना और बूथ पर कब्जा करना।
इसके अलावा मतगणना की प्रक्रिया में गड़बड़ी और फ़ॉर्म 17 सी का पालन नहीं करने के आरोप भी लगाए गए थे। इसमें वोटों की गिनती का रिकॉर्ड रखा जाता है।
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