प्रेम कितना जटिल और जानलेवा हो सकता है/होता है, यह अगर आपके जीवन में घटा है तो भी और नहीं घटा है तो भी ; दिलीप कुमार की अदाकारी उस अनुभव को जितनी सघनता से दिखाती है, शायद ही हिंदी सिनेमा में कोई दूसरा अभिनेता कर पाया हो। कुंदन लाल सहगल उनसे पहले देवदास बन चुके थे, शाहरुख़ ख़ान ने उनके बरसों बाद देवदास का किरदार निभाया लेकिन शरत चंद्र के देवदास का अक्स दिलीप कुमार के चेहरे पर जितना प्रामाणिक लगा उतना कहीं और नहीं।