बंगाल में चुनाव अब कुछ ही माह दूर रह गए हैं लेकिन अभी भी यहाँ की तसवीर साफ़ नहीं हुई है कि क्या ममता बनर्जी तीसरी बार भी राज्य की मुख्यमंत्री बनेंगी या इस बार यहाँ फिर से सत्ता परिवर्तन होगा। तसवीर के इस धुँधलेपन के दो प्रमुख कारण हैं -
बंगाल: इन सात कारणों से हार सकती हैं ममता
- पश्चिम बंगाल
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- 16 Jan, 2021

बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर मानी जा रही है। हाल ही में तृणमूल के कई नेताओं ने बीजेपी का हाथ पकड़ा है। क्या इससे तृणमूल की जीत पर कोई असर पड़ेगा या ममता बनर्जी अकेले दम पर इस चुनाव को फतेह कर लेंगी। दूसरी ओर, बीजेपी ने अपनी सियासी फ़ौज़ के बड़े कमांडर्स को यहां उतारकर बंगाल चुनाव को रोमाचंक बना दिया है।
पहला, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले जन-समर्थन में आकस्मिक और ज़बर्दस्त उछाल। जब उसका वोट शेयर 2014 के 17% से बढ़कर 40% तक पहुँच गया था। तृणमूल को उस चुनाव में 43% यानी केवल 3% अधिक वोट मिले थे।
दूसरा, हाल में तृणमूल कांग्रेस से कुछ बड़े और कई छोटे नेताओं का बीजेपी के ख़ेमे में पलायन। अगर विधानसभा चुनाव में भी बंगाल के वोटर लोकसभा चुनाव की तरह ही वोटिंग करें और ये दलबदलू नेता अपने साथ तृणमूल के केवल 1.5% वोट भी बीजेपी ख़ेमे में ले जाने में कामयाब रहें तो बाज़ी बराबर पर आ जाएगी (41.5 बनाम 41.5)। अगर वे इससे ज़्यादा वोट बीजेपी की तरफ़ ले जाने में सफल हुए तो बीजेपी तृणमूल से आगे चली जाएगी और सरकार बना लेगी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश