प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए राहुल गांधी को मूर्खों का सरदार क्यों कहा था? भारत में मोबाइल फोन को लेकर न? सच क्या है? कहीं पीएम मोदी के दावे ही ग़लत तो नहीं?
उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत देश के किसी भी 'धर्मस्थल का चरित्र' बदला नहीं जा सकता है तो फिर ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे क्यों किया जा रहा है? मुक़दमे क्यों चल रहे हैं?
रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान के बाद आख़िर विवाद क्यों है? क्या उन्होंने जिस चौपाई का इस्तेमाल किया है उसमें ताड़ना का मतलब कुछ और है?
उम्रक़ैद की सज़ा पाए लोगों को 14 साल बाद ही रिहा करने का वह कौन सा प्रावधान है जिसका लाभ बिल्किस बानो मामले में हत्यारों-बलात्कारियों को दी गई है? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने इसपर क्या कहा था।
आज़ादी के 76 साल में विभाजन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं। एक तो सवाल विभाजन की विभीषिका को लेकर ही उठ रहे हैं। ऐसे में क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि यदि देश बँटा नहीं होता तो क्या होता?
उदयपुर और जम्मू की घटनाओं के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि हिंदू पार्टी मानी जाने वाली और हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी से आखिरकार मुसलमान क्यों जुड़ते हैं और क्या पार्टी उससे जुड़ने वाले मुसलमानों के पुराने रेकॉर्ड की कोई पड़ताल नहीं करती?
कश्मीर में गुरुवार को एक बैंक मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। एक दिन पहले एक शिक्षिका को मार दिया गया था। कश्मीरी पंडित निशाने पर हैं। आख़िर 2019 में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद टारगेट किलिंग की घटनाएँ क्यों बढ़ीं?
कश्मीर से जुड़ी वैसे तो कई 'फाइलें' हैं, लेकिन क्या आपको वह 'फाइल' याद है जो 5 अगस्त 2019 को अस्तित्व में आयी थी? क्या आपको पता है कि क़रीब ढाई साल में सुप्रीम कोर्ट में वह 'फ़ाइल' कहां पहुँची?
सत्ता और मीडियाकर्मियों के संबंधों पर आजकल कुछ ज़्यादा ही सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी पत्रकार हैं जो अपनी पत्रकारिता से किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति विनीत शरण और भूषण गवई की बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट की दो-सदस्यीय बेंच की भूमिका पर उँगली उठाई है जिसने नारद कांड के अभियुक्तों की ज़मानत पर रिहाई के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया था।
तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति तय करने वाले प्रशांत किशोर का एक ऑडियो क्लिप सामने आया है जिसके बारे में बीजेपी द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि इस क्लिप में उन्होंने मान लिया है कि बीजेपी बंगाल में सत्तारूढ़ होने जा रही है। क्या यह बात सही है?
बंगाल में जब अमित शाह हर चरण के बाद अपनी सीटें गिना रहे हैं तो ममता बनर्जी तुरंत उनको काउंटर करती हैं कि क्या वे भगवान हैं या उन्होंने ईवीएम में झाँककर देखा है कि किसने किसको वोट दिया है। आख़िर यह वाद-विवाद क्यों?