पश्चिम बंगाल में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने जा रहे हैं और इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं के मन में अचानक बंगाल और बंगाल से जुड़ी हर चीज़ के प्रति प्रेम उमड़ने लगा है। अपने इस प्रेम प्रदर्शन में वे अक्सर कुछ ऐसी चूकें कर बैठते हैं जिससे तृणमूल कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों को यह कहने का मौक़ा मिल जाता है कि बीजेपी का यह प्रेम केवल दिखावा है और वह न बंगाल को समझती है, न बंगाल की संस्कृति को।
क्या मोदी ने टैगोर को गलत उद्धृत किया?
- पश्चिम बंगाल
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- 25 Dec, 2020

टैगोर राष्ट्रवाद के आधार पर आर्थिक और सैनिक तौर पर श्रेष्ठ बनने की होड़ के ख़िलाफ़ थे, क्योंकि यही दुनिया में अलग-अलग देशों के बीच संघर्ष का कारण बनती है और बनी भी। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध राष्ट्रीयताओं के ही संघर्ष थे जिसके भयंकर परिणाम दुनिया ने देखे और झेले। नस्ल और धर्म के आधार पर आज भी हम दुनिया में हिंसक घटनाएँ देख रहे हैं। वे भी राष्ट्रवाद के सैनिकीकरण का परिणाम हैं।
विश्व भारती विश्वविद्यालय के स्थापना शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण ने तृणमूल को ऐसा ही एक मौक़ा दे दिया। अपने भाषण में मोदी ने भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में गुरुदेव रबिंद्र नाथ टैगोर और विश्वभारती की भूमिका का उल्लेख किया जिस पर तृणमूल ने प्रतिक्रिया जताई कि टैगोर तो राष्ट्रवाद को विभाजनकारी मानते थे और उन्होंने धर्म के आधार पर लोगों को बाँटने का कभी समर्थन नहीं किया।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश