ममता बनर्जी ने संदेशखाली मामले को लेकर बीजेपी पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहाँ पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने के लिए खूब पैसे ख़र्च किए गए। उन्होंने कहा कि पैसे ख़र्च कर तब फ़ेक न्यूज़ फैलाई गई जब संदेशखाली में स्थानीय टीएमसी नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपों के मद्देनजर वह अपनी पहली यात्रा पर थीं।
इस साल की शुरुआत में संदेशखाली तब सुर्खियों में आया जब कई महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। उन पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले ने काफ़ी तूल पकड़ा। संदेशखाली को लेकर बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया और ममता सरकार को घेरा। हालाँकि, बाद में कुछ ऐसी ख़बरें आईं जिसको लेकर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी बीजेपी पर हमलावर होती दिखी।
इस साल मई महीने में बीजेपी नेता रहीं और संदेशखाली घटना को सामने लाने वाली महिलाओं में से एक सिरिया परवीन ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था और बीजेपी पर इस घटना की पटकथा लिखने का आरोप लगाया था। तब उन्होंने इस मामले में पैसे दिए जाने का आरोप भी लगाया था। बीजेपी से इस्तीफ़ा देते हुए वह टीएमसी में भी शामिल हो गई थीं। परवीन ने ये गंभीर आरोप बशीरहाट में मतदान से कुछ दिन पहले लगाए थे।
क़रीब सात महीने पहले सिरिया ने बीजेपी पर बशीरहाट लोकसभा उम्मीदवार रेखा पात्रा को पैसे देने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को अपना आंदोलन जारी रखने के लिए पैसे और मोबाइल फोन दिए गए, बलात्कार के झूठे मुक़दमे दर्ज कराए गए।
सिरिया परवीन ने मीडिया के सामने कहा था, 'संदेशखाली और बशीरहाट में मैंने उन महिलाओं के साथ रहने की कोशिश की, जिन्होंने छेड़छाड़ और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मैं सच्चाई के लिए लड़ रही थी। बाद में मैंने देखा कि यह केवल एक कहानी, एक स्क्रिप्ट थी। इसमें मोबाइल, मीडिया और पैसे का इस्तेमाल किया गया था और उन्होंने (बीजेपी नेताओं ने) इसके जरिए निर्देश दिए।'
सिरिया परवीन के उन आरोपों से क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एक महिला और उनकी सास ने तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अपनी बलात्कार की शिकायत वापस ले ली थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनसे बलात्कार का फर्जी केस कराया गया था। उन्होंने तो यह भी आरोप लगाया था कि उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए थे।
मई महीने की शुरुआत में संदेशखाली विवाद में तब एक चौंकाने वाला मोड़ आ गया था जब एक स्थानीय भाजपा नेता का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में एक नेता को कथित तौर पर यह स्वीकार करते हुए दिखाया गया कि संदेशखाली में कोई बलात्कार या यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था और महिलाओं को अधिकारी के निर्देश पर ऐसी शिकायतें दर्ज करने के लिए राजी किया गया था।' हालाँकि भाजपा और वीडियो में दिखने वाले नेता ने दावा किया कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई है और उनकी आवाज को एडिट किया गया है।
भारी विरोध के बावजूद बीजेपी बशीरहाट लोकसभा सीट जीतने में विफल रही, जिसमें संदेशखाली भी शामिल है। तृणमूल के वरिष्ठ नेता हाजी नूरुल इस्लाम ने बीजेपी की उम्मीदवार रेखा पात्रा को आसान अंतर से हरा दिया।
बहरहाल, अब ममता बनर्जी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि फेक न्यूज़ फैलाने के लिए बीजेपी ने पैसे ख़र्च किए। उन्होंने कहा, 'यहां बुरे लोगों को न बुलाएं। मुझे पता है कि यहां फर्जी खबरें फैलाने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च किया गया है। लेकिन मैं इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी। झूठ ज्यादा दिन नहीं टिकता; सच हमेशा सामने आ जाता है।'
इस साल की शुरुआत में क्षेत्र में अपनी सरकार के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का जिक्र किए बिना ममता बनर्जी ने कहा कि सब कुछ भुला दिया गया है। उन्होंने संदेशखाली की महिलाओं को आगाह करते हुए कहा, 'बुरे लोगों के बहकावे में न आएं। अगर कोई आकर आपसे उनके साथ जाने को कहे, तो भी न जाएं।'
टीएमसी सुप्रीमो संदेशखाली में राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ वितरित करने और स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए पहुँचीं। उन्होंने कहा, 'मैं चाहती हूं कि संदेशखाली की महिलाएं और पुरुष दुनिया में नंबर 1 बनें। हमें साजिश, धमकियों और फर्जी लोगों को खत्म करना होगा।'
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