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पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पर घमासान क्यों?

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव तो अगले साल होने हैं। लेकिन उससे पहले ही यहाँ मतदाता सूची के मुद्दे पर सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदारों यानी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच घमासान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जहाँ बीजेपी पर दूसरे राज्यों के लोगों को बंगाल की मतदाता सूची में शामिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी सरकार राज्य के गैर-बंगाली वोटरों के नाम सूची से हटाने की साजिश रच रही है।

मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनावी तैयारियों के सिलसिले में बीते बृहस्पतिवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के विभिन्न शाखा संगठनों के नेताओं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की महाबैठक बुलाई थी। उसमें दूसरी बातों के अलावा उन्होंने मतदाता सूची के मुद्दे पर भी पार्टी के लोगों को आगाह किया। उनका कहना था कि बीजेपी दूसरे राज्यों के वोटरों के नाम यहाँ सूचीबद्ध कराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने घर-घर जाकर मतदाता सूची के नामों की पुष्टि के लिए एक समिति के गठन का भी एलान किया। उसके बाद शुक्रवार से ही कोलकाता में यह काम शुरू हो गया है।

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ममता का आरोप था कि बीजेपी चुनाव आयोग की मदद से दूसरे राज्यों के लोगों के नाम बंगाल की मतदाता सूची में शामिल करा रही है। ऐसे फर्जी वोटरों की तादाद लगातार बढ़ रही है। तृणमूल प्रमुख ने दावा किया कि इससे पहले बीजेपी ने दिल्ली और महाराष्ट्र के चुनाव में ऐसा ही किया था। उन्होंने मतदाता सूची में ज़रूरी संशोधन नहीं होने की स्थिति में चुनाव आयोग के समक्ष धरने पर बैठने की भी चेतावनी दी है। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया था।

हालाँकि बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी ने अपने एक ट्वीट में ममता के आरोपों को खारिज कर दिया है।

ममता के आरोपों के बाद बीजेपी भी सक्रिय हो गई। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को यहां मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ मुलाक़ात की। शुभेंदु का कहना था कि तृणमूल कांग्रेस ने क़रीब 17 लाख फर्जी वोटरों के नाम सूची में शामिल कराए हैं, उनके नाम हटाए जाने चाहिए। 
शुभेंदु अधिकारी का सवाल था कि आख़िर किसी बांग्लादेशी नागरिक को राज्य में वोटर कार्ड कैसे मिला है?
चुनाव आयोग को सौंपे पत्र में बीजेपी ने मूल रूप से तीन आरोप लगाए हैं। उनमें कहा गया है कि असली वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। लेकिन मृत लोगों के नाम सूची से नहीं हटाए गए हैं। इसके साथ ही भारी तादाद में फर्जी वोटरों को मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है। पार्टी ने इस मामले में छह लोकसभा केंद्रों की 20 विधानसभा सीटों का ज़िक्र किया है।
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तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को निराधार बताया है। पार्टी के नेता फिरहाद हकीम कहते हैं कि ममता बनर्जी ने ठोस सबूतों के साथ आरोप लगाया है। बीजेपी मतदाता सूची में धांधली के ज़रिए विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता पर काबिज होना चाहती है।

दूसरी ओर, सीपीएम के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम का आरोप है कि केंद्र और राज्य में सरकार चलाने वाले दोनों राजनीतिक दल धुव्रीकरण के लिए मतदाता सूची का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी धार्मिक आधार पर वोटरों को बांटने का प्रयास कर रही है और ममता बनर्जी भाषा के आधार पर। मुख्यमंत्री हिंदीभाषी वोटरों को बाहरी करार दे रही हैं। उनका कहना था कि माकपा बीते 10 वर्षों से मतदाता सूची में संशोधन की मांग उठा रही है। लेकिन राज्य सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है। सैकड़ों मृत लोगों के नाम अब तक सूची से नहीं हटाए जा सके हैं। अब दोनों पार्टियां इस मुद्दे को अपने राजनीतिक हित में भुनाने का प्रयास कर रही हैं।

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प्रभाकर मणि तिवारी
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