क्या पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल के तौर पर डॉ. सी.वी. आनंद बोस के कार्यभार संभालने से राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच पैदा हुई खाई को कम करने में मदद मिलेगी? नए राज्यपाल के नाम के ऐलान के बाद से ही बंगाल के राजनीतिक हलकों में यही सवाल पूछा जा रहा है। इसकी वजह पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कार्यकाल है। क़रीब तीन साल इस पद पर उनके रहते शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जब सरकार के साथ उनका टकराव नहीं हुआ हो। हालत यह हो गई थी कि तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेता और सरकार के मंत्री धनखड़ को भाजपा का प्रवक्ता और राजभवन का भगवा पार्टी का कैंप ऑफिस तक कहने लगे थे। यही नहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो ट्विटर पर राज्यपाल को ब्लॉक तक कर दिया था।
क्या ममता सरकार के साथ संबंधों में कड़वाहट दूर करेंगे नए राज्यपाल?
- पश्चिम बंगाल
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- 24 Nov, 2022

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार की राज्यपाल से पहले लगातार तनातनी बनी रही है तो क्या नये राज्यपाल की नियुक्ति के साथ वह तनातनी ख़त्म होगी? क्या सीएम और राज्यपाल के बीच संबंध सुधरेंगे?
राज्यपाल के शपथ ग्रहण के दौरान पहली कतार में बैठने का इंतज़ाम नहीं होने को अपमानजनक करार देते हुए विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी समारोह में शामिल नहीं हुए थे। हालाँकि बाद में उन्होंने राजभवन जाकर बोस से मुलाक़ात की थी। इसी मुद्दे पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार तो राजभवन पहुंचने के बावजूद समारोह में शामिल नहीं हुए। इससे नए राज्यपाल को आने वाले दिनों को अंदाजा ज़रूर मिल गया होगा।