इन खंभों ने कितना कुछ देखा है?
हागिया सोफ़िया को मसजिद में बदलकर मुसलमानों का सर झुका दिया!
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 13 Jul, 2020

तुर्की हो या पाकिस्तान, जहाँ अभी एक मंदिर के निर्माण पर विवाद खड़ा किया जा रहा है या भारत, अतीत के प्रेत जगाए जा रहे हैं। लेकिन प्रेत तो अनेक हैं और सबके जागने का मतलब वर्तमान के लिए क्या होगा, अंदाज़ करना मुश्किल नहीं है। हाया सोफ़िया इसलिए पूरी दुनिया की चिंता का विषय होना ही चाहिए।
जब तुम इस मर्मर पर उँगलियाँ फिराते हो
क्या तुम उनकी बुदबुदाहट सुन पाते हो?
बाइजेंटाइन साम्राज्य के प्रवचन
अपनी इबादतों में ऑटोमन की पढ़ी गई दुआएँ।
अरबी में लिखे विशाल चक्र
नाम अल्लाह और मुहम्मद का
और उन्होंने उन्हें बाहर ले जाने की कोशिश की
तब मालूम हुआ दरवाज़े छोटे थे
वे सोफ़िया के भीतर रचे गए
और उसी की बाँहों में रहेंगे वे
और अब छत पर ध्यान दो
उनकी कल्पना करो जिन्होंने हाड़ तोड़ा अपना
अपनी भौंहों से पसीना पोंछते हुए।
एक एक टाइल कैसे सजाई गई होगी
इतनी बारीक पच्चीकारी करने को
पैग़म्बर ईसा के चेहरे की।
और फिर मुअज्जिन को बुलाया गया
“अल्लाहू अकबर, अल्लाहू अकबर”
सोफ़िया के विशाल कक्षों में गूँजती
यह पुकार उठती और गिरती है
धीमे धीमे वे किब्ला की तरफ़ मुड़ते हैं
जिसके ऊपर दीवार पर सोयी हैं वर्जिन मेरी।
………
कितनों के क़दम यहाँ पड़े हैंउन्होंने ख़ुदा के आगे सर झुकाया आनंद में और रोते हुएदोनों ही, मुसलमान और ईसाई।दोनों की ही आराम की जगह है यहाँजिससे वे सोफ़िया का आलिंगन महसूस कर सकेंवहाँ सोया है एक बाइजेंटाइनऔर उसके क़रीब सोया है एक ऑटोमन।
मरियम डे हान कवि हैं। इसलिए सोफ़िया के खम्भों, दीवारों और दालान से उन्हें इतिहास फुसफुसाता हुआ सुनाई पड़ा। वे यहाँ एक कहानी सुन पाती हैं। लेकिन शासक एर्दोयान कवि की तरह कमज़ोर नहीं पड़ सकता। वह इतिहास की इस विडम्बना को समझ ले तो फ़ैसला ही नहीं ले पाएगा।