प्रेमचंद 140 के हुए। नहीं, यह कहना पूरी तरह सही न होगा। प्रेमचंद तो कुल जमा 110 के हुआ चाहते हैं। इनकी पैदाइश 1910 की है। उसके पहले का अवतार था नवाब राय। उनके नाम से छपा 5 कहानियों का संकलन 'सोजेवतन' गले की फाँस बन गया था। उसकी कहानियों में 'सेडिशन' की बू पाई गई थी। सरकारी मुलाजिम धनपत राय श्रीवास्तव ने अड़ने और बेजा बहादुरी दिखलाने से बेहतर समझा दब जाना। किताब की कुछ प्रतियाँ कलक्टर के सामने अग्नि देवता को समर्पित कीं।
प्रेमचंद के 140 वर्ष : प्रेमचंद और फ़िराक़ के आँसू
- साहित्य
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- 19 Jul, 2020

जैसे प्रेमचंद के पास खुद को बचाए रखने का, बतौर लेखक और कोई रास्ता न था, अगर इन्हें भी माफ़ी माँगनी पड़ती है या ज़मानत लेनी पड़ती है तो इसे भी इनकी कायरता नहीं माननी चाहिए। अगर समाज साथ नहीं लड़ सकता तो अकेले लेखक को शहादत की आग में कूदने की मूर्खता नहीं करनी चाहिए। ...प्रेमचंद के जन्म के 140 वर्ष पूरे होने पर सत्य हिन्दी की ख़ास श्रृंखला, पढ़ें पहली कड़ी।