इसमें कोई संदेह नहीं बचा रहना चाहिए कि भारत में आखिरी निबटारे की शुरुआत हो चुकी है। यह कितना लंबा और कितना यातनापूर्ण होगा, यह कहना कठिन है। लेकिन तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी के बाद भी इसकी गंभीरता से इनकार करने का मतलब है खुद को भुलावे में रखना। लेकिन यह आखिरी निबटारा क्या है?
तीस्ता जेल में हैं तो क्या हम आज़ाद हैं?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 27 Jun, 2022

जालियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद जो हंटर कमीशन बना उसमें जनरल डायर से जिस शख्स ने तीखी जिरह की, उनका नाम चिमनलाल सीतलवाड़ था। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें इसके लिए जेल में नहीं डाल दिया था। यह संयोग ही है कि तीस्ता उनकी प्रपौत्री हैं। वही काम आज़ाद हिंदुस्तान में करने के लिए जो उनके प्रपितामह ने किया, वे जेल में डाल दी गई हैं।
यह अंग्रेज़ी के ‘फाइनल सॉल्यूशन’ का तर्जुमा है। इन दो शब्दों का इस्तेमाल बहुत जिम्मेवारी से ही किया जा सकता है। आखिरकार हिटलर के नाज़ियों ने यहूदियों के संहार के आखिरी और फैसलाकुन चरण के लिए इनका प्रयोग किया था। फिर भारत में इनका क्या संदर्भ है?
यह आखिरी निबटारा भारत की मुसलमान और ईसाई आबादी के लिए तो है ही, यह उनके लिए भी है जो भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा के लिए कानून के रास्ते का इस्तेमाल करना जानते हैं और जो इसके लिए भारत के लोगों को संविधान द्वारा दिए गए उनके अधिकारों के प्रयोग में उनकी मदद भी करते हैं।