दक्षिणपंथी, वह भी हिंदुत्ववादी आक्रामकता किस स्तर तक पहुँच गई है, उसका कुछ अंदाज़ सर्वोच्च न्यायालय को अभी हुआ है। पिछले कुछ समय से उसे अपने हर फैसले के लिए या फ़ैसला न लेने की दृढ़ता के लिए “हिंदुत्ववादियों या ‘राष्ट्रवादियों’ की वाहवाही मिलती रही है।
नूपुर शर्मा पर टिप्पणी के लिए सुप्रीम कोर्ट पर हमला क्यों?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 4 Jul, 2022

“भारत में इंसाफ की उम्मीद न रही। अदालत इस्लामवादी हो गई है, शरिया अदालत की तरह बर्ताव कर रही है। वह नूपुर शर्मा को कातिलों के हवाले कर देना चाहती है।” चारों तरफ से हिंदुत्ववादियों की लानत की बौछार सर्वोच्च न्यायालय पर पड़ना शुरू हो गई। वे सब भूल गए कि इसी पीठ के न्यायाधीश के कारण महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार गिराई जा सकी है।
लेकिन पहली बार उसकी एक पीठ को उनके कोप का शिकार होना पड़ रहा है। वह भी किसी निर्णय के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि उसने एक मामले में सुनवाई के दौरान उन हिंदुत्ववादियों में से एक को लेकर नाराज़गी भरी तल्ख़ टिप्पणियाँ भर कीं। उनके ख़िलाफ़ कोई निर्णय नहीं दिया। फिर भी।
अदालत के सामने भारतीय जनता पार्टी की (अब निलंबित) प्रवक्ता नूपुर शर्मा की याचिका थी कि उनके ख़िलाफ़ एक ही मामले में देश के कई राज्यों में मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने इन सबको इकट्ठा करके एक ही जगह मुक़दमा चलाने का आदेश देने का आग्रह अदालत से किया था।