एक तरफ़ छात्रों की गिरफ़्तारियों की ख़बर दिल्ली, अलीगढ़ और इलाहाबाद से आ रही है और दूसरी तरफ़ विश्वविद्यालय अपना सबसे सामान्य और अनिवार्य धर्म निभाने पर तुला हुआ है, यानी परीक्षा कार्य सम्पन्न करने का धर्म। बिना परीक्षा के शिक्षा की कल्पना कैसे की जा सकती है? हर सत्र के अंत में सांस्थानिक तौर पर जानना होता है कि जिस ज्ञान की योजना छात्र के लिए विश्वविद्यालय ने की थी उसका कितना संचय उसने किया है।