राष्ट्र ख़ुद को खोते हैं। फिर हासिल भी करते हैं। ख़ुद को खो देने के बाद वापस पाना इतना आसान नहीं। क्योंकि राष्ट्र भूल भी जाते हैं कि वे कौन थे और क्या थे। या क्या बनना चाहते थे!