कवि अशोक वाजपेयी ने दिल्ली ने आयोजित होने वाले एक साहित्य उत्सव में भाग लेने से इंकार कर दिया क्योंकि आयोजकों ने उन्हें इशारा किया था कि बेहतर हो अगर उनकी कविताएँ राजनीतिक न हों और उनमें इस सरकार की आलोचना न हो।अशोकजी कौन सी कविता पढ़ते और वह सीधे इस सरकार की आलोचना होती या नहीं, कहना मुश्किल है क्योंकि कवि एक तरह की कविताएँ ही नहीं लिखता। संभव है , उसकी अन्यत्र सार्वजनिक मुखरता से नितांत भिन्न स्वभाव उसकी रचनाओं का हो। प्रेम, प्रकृति, मानवीय संबंधों की गुत्थियाँ और ख़ुद इंसान के मन की उथल पुथल: यह सब कुछ है जो कविताओं का विषय हो सकताहै। राजनीतिक रूप से सक्रिय कवि संभव है, अत्यंत अंतर्मुखी कविताएँ लिखे।आप अचरज में पड़ जाएँ कि क्या दोनों एक ही व्यक्ति हैं?
इशारा एक विनम्र सेंसर था, अशोक जी ताड़ गये
- वक़्त-बेवक़्त
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- 27 Feb, 2023

हिन्दी के जाने-माने कवि अशोक वाजपेयी ने रेख्ता और अर्थ कल्चरल फेस्ट के कार्यक्रम में कविता से पढ़ने से मना कर दिया। क्योंकि रेख्ता ने उनसे राजनीतिक कविताएं नहीं पढ़ने को कहा था। क्या अशोक वाजपेयी ने ऐसा करके ठीक किया, लेखक-पत्रकार अपूर्वानंद ने इसी का जायजा इस लेख में लिया है।