कांग्रेस पार्टी को यह तय करना पड़ेगा कि जिन राज्यों में वह विपक्ष में है और जहाँ दूसरे  ग़ैर भारतीय जनता पार्टी दल सत्ता में हैं, उनसे अपने मतभेद या विरोध के कारण क्या स्थापित संसदीय परंपराओं को ध्वस्त किए जाने के वह पक्ष में है? साथ ही यह कि क्या वह विरोधी दलों के ख़िलाफ़ राजकीय मशीनरी के दुरुपयोग को प्रोत्साहित करना चाहती है? अभी तुरत पंजाब में और उसके पहले दिल्ली में उसके नेताओं के आचरण से ऐसा ही मालूम पड़ता है ।