शरजील ज़्यादा ख़तरनाक है या कन्हैया? क्या आप शरजील के साथ हैं? यह प्रश्न आज के शासक दल के नेताओं और उनके अनुयायियों ने प्रतिपक्षी राजनीतिक दलों और बेचारे उदारवादियों से पिछले दस दिनों में कई बार किया है। एक राजनीतिक दल, शिव सेना ने माना है कि शरजील कन्हैया से अधिक ख़तरनाक है। बिहार के मुख्यमंत्री का कहना है कि कुछ भी हो, देश को तोड़ने की बात अस्वीकार्य है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को चुनौती दे डाली थी कि वह अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं हुआ है! इस चुनौती के अगले दिन पुलिस के दावे के मुताबिक़, उसने शरजील को बिहार में जहानाबाद से गिरफ़्तार किया और शरजील के दोस्तों के अनुसार उसने ख़ुद आत्मसमर्पण का निर्णय लिया। तो क्या इस फुर्तीली कार्रवाई के लिए पुलिस को बधाई न दी जाए।
न कन्हैया ख़तरनाक है और न शरजील, उनके क्रोध को महसूस कीजिये
- वक़्त-बेवक़्त
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- 3 Feb, 2020

शरजील के स्वर की कड़वाहट को समझना क्या इतना कठिन है? क्या भारत का हिंदू दिल पर हाथ रखकर कह सकता है कि मुसलमानों को पिछले 6 बरस से ज़िल्लत की ज़िंदगी नहीं जीनी पड़ रही है? यह समय शरजील के साथ बिना शर्त खड़े होने का है। इसलिए कि शरजील की तरह के विचार रखने के बावजूद अगर आपका नाम शरजील जैसा नहीं है और अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सामने आप न हों तो शरजील जैसा हश्र आपका कतई न होगा।
शरजील, पुलिस या कहें कि एक मुसलमान विरोधी, बहुसंख्यकवादी राज्य की गिरफ़्त में है। पाँच-पाँच राज्य उसकी ताक में हैं। मीडिया विश्वसनीय स्रोतों के हवाले से सनसनीख़ेज़ रहस्योद्घाटन कर रहा है। अतिवादी माने जानेवाले संगठनों से शरजील के संबंध होने के दावे क़िए जा रहे हैं और उसे दहशतगर्दों में से एक साबित करने की कोशिश की जा रही है। सामान्य लोगों के पास इन दावों की जाँच करने का कोई रास्ता नहीं है। वैसे ही जैसे कन्हैया, उमर और उनके साथियों पर सरकार और मीडिया के द्वारा लगाए गए आरोपों की पड़ताल का कोई साधन उनके पास न था। इसका नतीजा है कि आज इन्हें ख़तरनाक देशद्रोही मानने वालों की तादाद लाखों में है। इनपर अक्सर हमले होते रहते हैं जिनमें कुछ में इनकी जान भी जा सकती थी। इनके बारे में जो कुछ भी कहा गया, उसमें से कुछ भी साबित नहीं हुआ है। लेकिन आम हिंदुओं के मन में इन्हें लेकर शक और नफ़रत कम होने का नाम नहीं लेती।