बीते शुक्रवार लखनऊ से नासिरूद्दीन हैदर ख़ान ने एक वीडियो के साथ एक वाक्य की खबर भेजी: ये लोग थाने में हैं। मैंने वीडियो खोला। जगह पहचान गया। हमारे दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी गेट के ठीक बाहर की जगह थी। दुबले पतले ज़्याँ ड्रेज़ को पहचानना मुश्किल न था। वे ख़ामोश खड़े थे। एक महिला बोल रही थीं। बाद में पहचाना, ऋचा सिंह थीं। समझ गया कि ये सब राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी क़ानून में हेराफेरी के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर लंबे वक्त से चल रहे धरने में हिस्सा लेने आए होंगे और इस मसले के बारे में गाँव के बाहर रहने वालों को जागरूक करने के ख़याल से दिल्ली विश्वविद्यालय पहुँचे होंगे।
विश्वविद्यालय परिसर को विचार मुक्त करने पर आमादा है !
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 27 Mar, 2023

मौजूदा सरकार यूनिवर्सिटी कैंपस में भी आजादी पसंद नहीं है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में घटी दो घटनाओं के हवाले से इस स्तंभ के लेखक और नामी विचारक अपूर्वानंद बता रहे हैं कि सरकार किस रह कैंपस को विचारविहीन बनाने पर तुली है।