देश में उच्च शिक्षा में टीचरों के साथ मजाक हो रहा है। तमाम विश्वविद्यालयों में तमाम शिक्षक वर्षों से अस्थायी चल रहे हैं और फिर एक दिन उन्हें निकाल बाहर कर दिया जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में अस्थायी शिक्षक हटाए जा रहे हैं। डीयू में बीस-बीस साल तक पढ़ाने वालों को बाहर कर दिया गया। अस्थायीकरण ऐसी समस्या है कि सामने वाला वर्षों तक सिर्फ स्थायी होने के लिए जूझता रहे। ऐसे में शिक्षक क्या पढ़ाएंगे, ऐसे में उसे तो बस उन लोगों को खुश रखना है, जिनके हाथों में उसके स्थायित्व की डोर है। स्तंभकार अपूर्वानंद का कहना है कि इन वजहों से देश के दो प्रमुख विश्वविद्यालय डीयू और जेएनयू मर रहे हैं...