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हेमंत सोरेन
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रात साढ़े आठ बजे बिजली गुल हो गई। इसी विश्वविद्यालय में जेएनयू छात्र संघ रात 9 बजे बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग आयोजित करने वाला था। प्रशासन ने छात्रों से कहा था कि इसकी स्क्रीनिंग न करें। प्रशासन के इनकार के बाद भी छात्र उस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करना चाहते थे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बिजली गुल होने के बाद जेएनयू के छात्रों ने विरोध के संकेत के रूप में छात्र संघ कार्यालय के पास मोबाइल, लैपटॉप जैसे व्यक्तिगत उपकरणों पर डॉक्यूमेंट्री को स्ट्रीम किया।
जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी थी। इसने यहाँ तक कहा था कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन छात्रों ने जोर देकर कहा था कि स्क्रीनिंग से विश्वविद्यालय के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होगा और न ही इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा।
जेएनयू जैसा कार्यक्रम हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में भी किया गया। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक समूह ने सोमवार रात को कैंपस के अंदर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया। स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन ने इसका आयोजन किया था। इस मामले की विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर सरकार और विपक्ष में भी तनातनी बनी है। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के लिंक को विपक्षी दलों के नेता ट्विटर पर साझा कर रहे हैं।
ऐसा तब है जब डॉक्यूमेंट्री को कथित तौर पर भारत में ऑनलाइन माध्यमों से हटा दिया गया है और ऐसा करने के लिए विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। विपक्षी नेताओं ने इसको सेंसरशिप क़रार दिया है और इसी के विरोध में उस डॉक्यूमेंट्री का लिंक साझा किया है।
बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक दो-भाग की श्रृंखला में डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड सामने आया है। बीबीसी ने इस सीरीज के डिस्क्रिप्शन में कहा है कि 'भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव को देखते हुए 2002 के दंगों में उनकी भूमिका के बारे में दावों की जांच कर रहा है, जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।'
जब इस डॉक्यूमेंट्री की ख़बर मीडिया में आई तो भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी श्रृंखला की कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 'झूठे नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए प्रोपेगेंडा डिजाइन किया गया'।
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