दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गुरुवार को तनाव का माहौल रहा। यहां की दीवारों पर जातिवादी नारे लिखे नजर आए। इससे छात्रों में अनहोनी संघर्ष से बेचैनी रही। एबीवीपी और वामपंथी छात्र संगठनों ने एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की दीवारों पर गुरुवार को जातिवादी नारे गुरुवार को दिखे। एक नारा लिखा था- ब्राह्मणों भारत छोड़ो। दूसरे नारे में लिखा था - ब्राह्मणों कैंपस छोड़ो, एक जगह लिखा था- गो बैक टू शाखा यानी शाखा में वापस जाओ। एक नारा यह भी था - खून बहेगा। नारे सामने आने के बाद एबीवीपी के जेएनयू अध्यक्ष रोहित और अन्य नेताओं ने आरोप लगाया कि लेफ्ट ग्रुप के छात्रों की यह हरकत है। वे जेएनयू कैंपस में फिर से तनाव फैलाना चाहते हैं। दूसरी तरफ वामपंथी ग्रुप के छात्रों ने आरोप लगाया कि यह खुद एबीवीपी के लोगों की हरकत है। वे इसकी आड़ में जेएनयू प्रशासन और पुलिस की मदद लेकर वामपंथी आवाजों को कैंपस में दबाना चाहते हैं।
जेएनयू में हर दो-चार महीने के अंतराल में किसी न किसी बवाल की आड़ में दक्षिणपंथी और वामपंथी छात्र समूह टकराते रहते हैं। तमाम विवादों की शुरुआत इसी तरह होती है। पिछले दिनों पोस्टर लगाने के बाद तनाव बन गया था।
जेएनयू कैंपस में अभी ये बहस जारी है, लेकिन यह लड़ाई सोशल मीडिया पर पहुंच गई है। जिनमें दक्षिणपंथी समर्थक ट्वीट करके जेएनयू कैंपस को कट्टरपंथी धार्मिक समूहों का अड्डा बता रहे हैं। कुछ इसे आतंकियों की नर्सरी लिख रहे हैं। कुछ ने मांग कर डाली है कि जेएनयू, जामिया और एएमयू को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाना चाहिए ताकि यहां आतंकी नहीं तैयार हो सकें। आइसा समर्थक छात्रों का कहना है कि इन नारों के पीछे गंदी संघी मानसिकता काम कर रही है जो इसकी आड़ में अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं।
आइसा समर्थक छात्रों का कहना है कि इंटरनेशल स्टडीज की तीसरी मंजिल पर लिखे गए इन वाहियात नारों को देखकर लगता है कि इन्हें बहुत समय देकर बहुत तसल्ली से लिखा गया है। ताज्जुब है कि जेएनयू के सुरक्षा विंग के अधिकारियों की नजर इस तरह की हरकत करने वालों पर नहीं पड़ी और खुराफाती अपनी हरकत करके गायब हो गए।
जेएनयू परिसर में अप्रैल 2022 में चारों ओर 'भगवा जेएनयू' के पोस्टर और भगवा झंडे दिखे।हिंदू सेना द्वारा कथित तौर पर लगाए गए झंडे और पोस्टरों में एबीवीपी के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई गई थी। इन पोस्टरों और भगवा झंडा लगाने वाले संगठन हिन्दू सेना ने कहा था कि जेएनयू कैंपस में भगवा का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जेएनयू में अप्रैल में ही रामनवमी के मौके पर मीट परोसने को लेकर एबीवीपी और लेफ्ट समर्थक छात्र समूहों के बीच मारपीट हुई थी। आरोप है कि कावेरी हॉस्टल की मेस में एबीवीपी समर्थकों ने लेफ्ट समर्थक छात्रों पर हमला किया। इसमें कई छात्र घायल हो गए। वसंतकुंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज हुई। लेफ्ट समर्थक छात्रों ने एबीवीपी का नाम लिया था। एबीवीपी ने वामपंथी छात्रों पर रामनवमी पूजा में बाधा डालने का आरोप लगाया। लेकिन यह विवाद मीट परोसे जाने को लेकर हुआ था। एबीवीपी समर्थकों ने चेतावनी दी थी कि मीट न परोसा जाए। हालांकि बाद में एबीवीपी ने कहा कि हम लोग मीट के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन उस दिन रामनवमी थी तो हमने मीट नहीं परोसने के लिए कहा था। वैसे हम मीट के खिलाफ नहीं है। इस पर लेफ्ट छात्रों ने कहा था कि कौन क्या खाएगा, यह एबीवीपी नहीं तय कर सकता। एबीवीपी ने बाद में वसंतकुंज थाने में जवाबी एफआईआर लेफ्ट समर्थक छात्रों पर कराई।
जेएनयू कैंपस से गायब नजीब नामक छात्र का पता कई वर्षों बाद भी नहीं चल पाया है। यह घटना भी छात्रसंघ चुनाव के दौरान हुई थी। इस मामले में भी वामपंथी छात्र संगठनों ने एबीवीपी पर आरोप लगाए थे। लेकिन यह मामला अब पूरी तरह दब चुका है। नजीब की मां आज भी बेटे का इंतजार कर रही है। नजीब जेएनयू से एफफिल कर रहे थे।
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