1973 में गुजरात के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में खाने-पीने की चीजों की कीमत बढ़ाए जाने पर छात्रों का एक ऐसा आंदोलन शुरू हुआ जिसकी ज्वाला देश भर में फैल गयी और यह तत्कालीन सरकार के पतन का कारण भी बनी। जेएनयू के छात्र आंदोलन को हल्के-फुल्के ढंग से लेने वाली सरकार को समझना चाहिए कि ये एक बड़े आंदोलन का आगाज भी हो सकता है। सुनिए, क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने।