बौद्धिकता हमेशा उस जगह जैसी ही नहीं होती, जहाँ से वह निकलती है। उदाहरण के लिए 50 साल पुराने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को ही लें, जो वामपंथी विचारधारा का किला, अलगाववाद का गढ़ और दिमाग में मार्क्स और अजेंडे पर कश्मीर लेकर चलने वाले फ़ैशनेबल विचारधारा मानने वालों की भीड़ का अंतिम आश्रय स्थल है। देश के 400 विश्वविद्यालयों में शायद ही कोई विश्वविद्यालय है, जो विचारधारा से प्रेरित होकर किसी का विरोधी बन गया हो, लेकिन जेएनयू किसी भी सत्ता प्रतिष्ठान का सबसे ज़बरदस्त विरोधी है जो कई स्तरों पर असंतुलन को ठीक करने की कोशिश करता है।