जोश में भरे हुए विद्रोहियों का सपना होता है समतामूलक समाज। असहयोग और लोकतंत्र एक दूसरे के शत्रु नहीं हैं, बल्कि समाज और राजनीति के मिलन में एक दूसरे के सहभागी विपरीत विमर्श को रोकने का प्रयास विरोध को जन्म देता है और लोकतंत्र कमज़ोर होता है। पिछले कुछ महीनों से भारतीय राजनीतिक विमर्श से सकारात्मक राजनीतिक असहमति गायब है। इसका कारण विपक्षी राजनीतिक शून्यता नहीं है, इसका कारण है वैचारिक पंगुता।