जब आँखों के सामने एक संस्था को बर्बाद किया जा रहा हो, सिर्फ़ इसलिए कि वह दक्षिणपंथ की राह पर चलने को तैयार नहीं है तो इसे देश की बदक़िस्मती ही कहा जायेगा।
एचआरडी सेक्रेटरी ने ट्वीट कर कहा है कि जेएनयू प्रशासन ने पिछले फ़ैसले से बड़ा रोलबैक किया है। छात्र आंदोलन छोड़कर कक्षाओं में जाएँ जबकि छात्रों का कहना है कि यह आंदोलन में बँटवारे की साज़िश है और आंदोलन जारी रहेगा। क्या है पूरा मामला, देखिए शीतल के सवाल में।